ऐसा देश है मेरा, जहां करोड़ो लेने वाला सुरक्षित है और अन्नदाता कर्ज के बोझ से आत्महत्या कर रहा है

हम सभी बचपन में कई ऐसी बातें बचपन से सुनते आ रहें जिनपर आज के परिवेश और माहौल में शायद यकीन करना थोड़ा मुश्किल है। हमने बचपन मे सुना था मेरा भारत महान, इसमे कोई शक या शंका नही लेकिन यह कैसी महानता कि विश्व गुरु का दम्भ भरते हैं और कृषि प्रधान देश भारत के सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या करते हैं। कैसे हम खुद को सोने की चिड़िया मान लें जहां किसान फटेहाल है, न घर है न द्वार है बस कर्ज का बोझ है?

कैसे न सवाल उठे उस देश की महानता पर जहां हज़ारों, करोड़ों लेकर देश से भाग जाने वाले लोग सुरक्षित हैं और महज कुछ हजार का कर्ज लेने वाला किसान कर्ज न लौटाने की स्थिति में ट्रेक्टर से कुचल कर मार दिया जाता है या भ्रष्ट सरकारी कार्यप्रणाली से तंग आकर आत्महत्या कर लेता है? कैसे न सवाल उठे उस देश की व्यवस्था पर जो खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहता है लेकिन अपने राष्ट्र के अन्नदाता की मजबूरी, दर्द और आंसू को ताक पर रख देता है उन्हें उनके हाल पर छोड़ देता है?

वादे बहुत हुए, काम भी हुए आज़ादी के बाद से लेकर आज तक बहुत प्रगति हुई और भारत आगे बढ़ा लेकिन यह लिखते शर्म आ रही है कि इस दौरान कथित विकास के नाम पर सबसे ज्यादा कुर्बानी किसानो ने दी। कभी जमीन गंवाकर तो कभी जान गंवाकर। ऐसे में कैसे कहें मेरा भारत महान? सोचिएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *