2014 में बीजेपी को सत्ता तक पहुंचाने वाले चेहरे की बात करें तो नरेंद्र मोदी का नाम सबसे पहले आता है। लेकिन जो लोग भी राजनीति के बारे में दिलचस्पी रखते हैं वह हां जानते और मानते हैं कि इस जीत में असली चेहरा प्रशांत किशोर का था। प्रशांत किशोर ही वह व्यक्ति थे जिन्होंने बीजेपी के प्रचार की कमान संभाल रखी थी और ब्रांड मोदी की सुनामी पूरे देश मे खड़ी कर दी थी। अब प्रशांत किशोर एक बार फिर चर्चा में हैं। चर्चा में होने की वजह कुछ दिनों पहले पीएम से हुई उनकी मुलाकात है।
पीएम-पीके मुलाकात के बाद अब एक सवाल सभी के मन मे उठने लगा है कि क्या पीके दोबारा 2019 में मोदी के पक्ष में प्रचार की कमान थामते नजर आएंगे? यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि 2019 में मिली जीत के बाद और अमित शाह के अध्यक्ष बनने के बाद प्रशांत और शाह के रिश्तों में खटास की वजह से उन्हें बीजेपी का साथ छोड़ना पड़ा था। शाह आज भी अध्यक्ष हैं ऐसे में सवाल थोड़ा जटिल है लेकिन यह राजनीति है और इसमे कोई दुश्मन या दोस्त नही होता है।
प्रशांत और पीएम की इस मुलाकात के बारे में आज तक की एक रिपोर्ट की माने तो उनके एक करीबी ने दावा किया कि यह महज एक शिष्टाचार भेंट थी। प्रशांत को मोदी जी ने मिलने बुलाया था इसका यह मतलब कतई नही है कि वह 2019 में बीजेपी के लिए प्रचार की कमान संभालते और रणनीति बनाते नजर आएंगे।
उन्होंने अपने पक्ष में यह भी कहा कि प्रशांत प्रियंका और राहुल से भी मिलते रहे हैं ऐसे में उनके प्रचार की भी बात हो सकती है लेकिन ऐसा कुछ नहो है। प्रशान्त का पूरा ध्यान अभी वाईएसआर कांग्रेस के प्रचार पर है और पूरी टीम अभी आंध्रप्रदेश में लगी है। इसके अलावा अभी अन्य किसी भी दल से कोई बातचीत नही हुई है।
इसके पीछे एक वजह यह भी बताई गई कि हाल ही में प्रशांत की माँ का निधन कैंसर से हुआ और उनके पिता बीमार हैं ऐसे में वह घर पर पूरा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। खैर अब सच्चाई क्या है यह तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा कि चाय पर चर्चा जैसे कार्यक्रम को हिट बना मोदी को सत्ता के शिखर पर पहुंचाने वाले पीके की रणनीति किसके लिए होगी और क्या होगी?