मोदी को कोसना आसान है, मोदी बनना मुश्किल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कई अनकही, अनसुनी बातें पढ़ने को, सुनने को मिलती हैं। यह बातें न सिर्फ उनके राजनीतिक संघर्ष को दर्शाने वाली होती हैं बल्कि यह उनके व्यक्तित्व से लेकर उनके फर्श से अर्श तक के सफर की कहानी भी बहुत सहजता से बता जाती हैं।

जैसा कि हम पढ़ते, सुनते आए हैं वह एक चाय बेचने वाले थे और आज वह पीएम हैं। उनकी जीवनशैली से हम बहुत कुछ सिख सकते हैं। खास कर दृढ़ इक्षाशक्ति, वरना आज जहां लोग पेट भरने को लेकर परेशान हैं ऐसे में एक दल, राज्य और देश के लिए अपने जीवन को समर्पित कर देना हर किसी के बूते की बात नही है।

मोदी की राजनीतिक सफर की कई कहानियां हैं, कई उपलब्धियां हैं, कई नाकामियां भी होंगी इसमे कोई संदेह नही लेकिन आखिर सीखता वही है जो गलतियां करता है। संगठन से लेकर सड़क और अब संसद तक पहुंचने वाले मोदी इसी संघर्ष की आग से तपकर निकले हैं।

बेशक आज उन्हें जुमलेबाज, झूठा और न जाने क्या क्या कह कोसा जाता है लेकिन यह एक कड़वी सच्चाई है कि उन्हें कोसना आसान है लेकिन मोदी जैसा बनना मुश्किल है। उदाहरण के तौर पर बात करें तो गुजरात सीएम रहते उनके कार्यों को बताने की जरूरत नही। हां गोधरा कांड उनकी साख पर बट्टा लगाने वाला जरूर था। 

पीएम रहते अब तक उनके सफर की बात करें तो न सिर्फ देश बल्कि विदेश में भी उनके नाम का डंका बजा है, इसमे कहीं कोई संदेह नही। नतीजे क्या होंगे यह दूरगामी है। आज हर मुद्दे को लेकर लोग सोशल मीडिया पर मोदी के खिलाफ बोलते हैं। इनमे ऐसे लोग भी हैं जिन्हे खुद अपना भूत, भविष्य, वर्तमान नही पता लेकिन वह केंद्र की योजनाओं और विफलताओं को बताते रहते हैं।

ऐसे में आप एक बार मोदी जैसे संघर्ष को जी कर देखिए, अच्छे, बुरे को छोड़ आगे बढ़ देखिए टैब शायद आपको गरिमा, मजबूरी और मजबूती के एहसास हो, इसलिए कहता हूं मोदी को कोसना बहुत आसान है,मोदी जैसा बनना मुश्किल है।

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