कांग्रेस एक जमाने मे न सिर्फ सबसे ज्यादा दलों को साथ लेकर चली है बल्कि अक्सर वह अगुवाई करती भी नजर आई है। हालांकि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस अलग थलग पड़ती दिख रही। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह दिख रहा है कि लोग या विपक्ष राहुल के नेतृत्व क्षमता को लेकर सशंकित है और वह मानने को तैयार नही की राहुल मोदी को टक्कर देने में और उनकी बराबरी करने में सक्षम है। दूसरी बात यह है कि अन्य क्षेत्रीय दलों के मन मे यह डर भी है कि कांग्रेस की स्वीकार्यता अभी भी 2014 जैसी ही है अजर मुमकिन है कि लोगों का समर्थन मोदी विरोध का बावजूद उसे न मिले। कारण कई अन्य भी हैं लेकिन जिस तरह अब क्षेत्रीय दल एक होकर बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ होने लगे हैं ऐसे में मुश्किल राहुल और मोदी दोनो के लिए होनी तय है।
इस तथ्य को समझने के लिए सब से पहले अविश्वास प्रस्ताव जो आज मोदी सरकार के खिलाफ पेश होना है उसकी बात करते हैं। यह अविश्वास प्रस्ताव टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस ला रही है। इसका समर्थन कई छोटे दल कर रहे हैं। दिलचस्प यह है कि इस दौरान कांग्रेस क्या भूमिका निभाएगी यह समझ से परे है। बेशक यह प्रस्ताव संसद में औंधे मुंह गिर जाए या इसका परिणाम कुछ भी न हो लेकिन 2014 के बाद चार साल में ही सरकार के खिलाफ ऐसे प्रस्ताव से न सिर्फ छवि खराब होगी बल्कि यह भी संदेश जाएगा कि मोदी सरकार के खिलाफ एक लामबंद विपक्ष है। खैर काँग्रेस और बीजेपी दोनो के लिए यह एक चुनौती है।