राजनीति के गलियारों में यह चर्चा जरूर थी कि अगर मोदी बोलेंगे तो महफ़िल उन्ही के नाम होगी। हुआ भी यही। मोदी शुरू हुए तो विपक्ष को न जवाब सुझा न काट बस तेलगू देशम पार्टी के नेताओं ने मोर्चा संभाला लेकिन उसका भी काट मोदी लेकर आये थे।
कांग्रेस को कोई भी क्षेत्रीय दल तवज्जो देता नही दिख रहा और बीजेपी किसी अन्य दल को अपने सामने तवज्जो दे उनका ग्राफ बढ़ाना नही चाहती है। यही वजह है कि हर जायज-नाजायज मांग मानने के बदले बीजेपी ने डिफेंड करना ही सही समझा है।
क्षेत्रीय दलों के मन मे यह डर भी है कि कांग्रेस की स्वीकार्यता अभी भी 2014 जैसी ही है अजर मुमकिन है कि लोगों का समर्थन मोदी विरोध का बावजूद उसे न मिले।