यह वह परंपरा है जहां सत्ता के लिए समाज के टुकड़े करने की एक साजिश की बू आ रही है। बीजेपी वहां शून्य से शिखर पर आने को आतुर है वहीं वाम के लाल किले को बंगाल में ध्वस्त कर सत्ता में काबिज हुईं ममता को अपने ऊपर कुछ ज्यादा ही यकीन हो चला है।
कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर का गठबंधन अगर आने वाले भविष्य में जमीनी हकीकत बना तो शाह को सोचने की जरूरत पड़ सकती है। इसके अलावा मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो खुद बीजेपी के आंतरिक सर्वे में बीजेपी बहुमत से दूर दिख रही है।
क्षेत्रीय दलों के मन मे यह डर भी है कि कांग्रेस की स्वीकार्यता अभी भी 2014 जैसी ही है अजर मुमकिन है कि लोगों का समर्थन मोदी विरोध का बावजूद उसे न मिले।