2014 के लोकसभा चुनावों से पहले जब पीएम उम्मीदवार के रूप में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र भाई मोदी के नाम का ऐलान हुआ तो यह एक आश्चर्यजनक फैसला लगा। बिहार से लेकर कई अन्य जगहों पर बड़े स्तर पर इसका विरोध हुआ।
इससे भी बड़ा आश्चर्य तब हुआ जब चुनाव प्रचार के लिए सोशल मीडिया को एक बड़ा हथियार बनाया गया और इसके पीछे भी टैब के सीएम और अभी के पीएम मोदी का दिमाग था।उनके प्रचार का जिम्मा बेशक प्रशांत किशोर के पास था लेकिन यह फार्मूला कारगर रहा और बीजेपी सत्ता में आई। यहीं से शुरू हुआ भारतीय राजनीति में सोशल मीडिया का प्रभुत्व।
यह वर्चस्व आज अपने चरम पर है। जीत के लिए सोशल मीडिया को किसी भी चुनाव में इग्नोर नही किया जा सकता है। वजह है इसकी ताकत और जन-जन तक इसकी पहुंच।आज अगर बात इसकी ताकत की करें तो भारत की राजनीति में इसका अहम योगदान है। पीएम मोदी इस मामले में सबसे आगे हैं। ट्विटर हो या फेसबुक पीएम न सर्फ भारत बल्कि दुनिया के कई देशों के नेताओं से आगे हैं।
आंकड़ों के इन खेल में पीएम के ट्विटर पर जहां 43.7 मिलियन फॉलोवर हैं वहीं पीएम मोदी खुद 2000 लोगों को फॉलो करते हैं। फेसबुक की बात करें तो पीएम को 4 करोड़ से अधिक लोग फॉलो करते हैं। यह आंकड़े भारत मे सबसे ज्यादा हैं उनके आसपास भी कोई नेता नही ठहरता। ऐसे में सबसे लोकप्रिय और जननेता अगर कोई है तो वह पीएम मोदी ही हैं।