प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार इस मुद्दे की चर्चा कर चुके हैं कि देश मे विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए। इसके पीछे उनका तर्क यह रहता है कि इससे धन और समय की बचत होगी। काम करने को ज्यादा समय मिलेगा और राजनीतिक स्थिरता आएगी।
यह सही भी है लेकिन जब भी यह चर्चा शुरू होती है विपक्षी दल इसके आड़े आ जाते हैं और यह चर्चा महज चर्चा बनकर ही समाप्त हो जाती है। इसके पीछे कारण क्या है आइये अब वह हम आपको बताएं।
दरअसल 2014 के बाद से जिक्स तरह बीजेपी एक के बाद एक राज्यों में जीत हासिल कर अपने पांव पसारती गई और दायरा बढ़ता गया ऐसे में विपक्ष को डर है कि यह फैसला बीजेपी के पक्ष में जायेगा और देश भर में बीजेपी की सत्ता में वापसी हो सकती है।
इसके बाद विपक्ष नेपथ्य में होगा और 5 साल तक राजनीति का हर दरवाजा बंद हो जाएगा और ऐसा कोई दल नही चाहता। इस फैसले के विरोध के पीछे यही सबसे बड़ी वजह भी है। हालांकि यह विकल्प सही साबित हो सकता है और वाकई समय के साथ धन की बचत भी होगी।