अखिलेश का 2022 प्लान- छोटे दलों के भरोसे 22 में साइकिल दौड़ाने का दाँव

आने वाले समय में राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएससी), महान दल, और जनवादी पार्टी जैसी पार्टियों जिनका राज्यों के विभिन्न इलाकों में एक अच्छा प्रभाव हैं समाजवादी पार्टी इनके साथ औपचारिक रूप से सीट बंटवारे के फार्मूलों पर बात कर सकती हैं।

मोदी और राहुल के बीच हैं कई बड़े अंतर, पढ़ें

राहुल गांधी और पीएम मोदी की तुलना अक्सर एक दूसरे से की जाती है। दोनो ही बड़े नेता हैं। दोनो ही अपने अपने दलों के सर्वमान्य नेता हैं। इसके बावजूद कहीं न कहीं दोनो में कुछ मसलों को लेकर एक बड़ा अंतर जरूर है।

अजब राजनीति की गजब कहानी, कांग्रेस की यह अकड़ है पुरानी

परिवारवाद का आरोप लगता आया है। घोटाले के आरोप लगे। आपातकाल कांग्रेस के ही शासनकाल में लगा, सिख विरोधी दंगे हुए। इंदिरा और राजीव ने अपनी जान गंवाई। इसके बावजूद आज अगर यह पार्टी खड़ी है और सिमटती नजर आने के बावजूद बीजेपी को टक्कर देने का दम्भ भरती नजर आ रही है तो यकीन मानिए कुछ तो खास इसमे जरूर है।

कश्मीर मुद्दे पर यह बीजेपी का अंतिम फैसला नही, अब और बहुत कुछ होना है?

बीजेपी आपरेशन आल आउट की हिमायती थी जबकि पीडीपी इसे बंद करने की पैरोकारी में लगी थी। बीजेपी के शासन वाली केंद्र सरकार रमजान के बाद सीजफायर को खत्म करना चाहती थी जबकि महबूबा इसके खिलाफ थीं।

अकेले मोदी कहाँ-कहाँ से लड़ेंगे चुनाव?

पीएम मोदी 2019 के लोकसभा चुनाव कहाँ से लड़ेंगे? इस सवाल का जवाब न तो अभी बीजेपी की तरफ से आधिकारिक रूप से दिया जा रहा है न कभी पीएम ने इस बात की कहीं कोई चर्चा की है कि वह बनारस से ही लड़ेंगे या अपना चुनावी क्षेत्र बदलेंगे। ऐसे में अनुमान और आकलन ही किया जा सकता है।

क्या यूपी की राजनीति में आएगा नया मोड़, इस बड़े नेता पर डोरे डाल रही बीजेपी

केशव ने शिवपाल सिंह यादव को ऑफर देने के लहजे में बोलते हुए कहा कि शिवपाल चाहें तो बीजेपी में अपने दल का विलय कर लें। वह गठबंधन के बाबत बोल रहे थे।

राजनीति में कब तक दोहराए जाएंगे पुराने राग, मुद्दे क्यों हैं गौण ?

राजनीति में बदलाव लाने के नाम पर आई आम आदमी पार्टी भी उसी दलगत,जातिगत राजनीति का हिस्सा बन गई है। भ्रष्टाचार और लंबे चौड़े वादे कर कांग्रेस को बेदखल करने वाली बीजेपी भी उसी राह चल चुकी है। कांग्रेस के पास न चेहरा है न देश के पास विकल्प जो इसकी भरपाई कर सके।

मोदी-ट्रम्प में कई समानता लेकिन राजनीति,कूटनीति में काफी अंतर

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिश्तों की चर्चा तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई लेकिन उनके बीच समानता और असमानता के बीच शायद ही कभी कोई चर्चा कहीं देखने और सुनने को मिली है।

राजनेताओं से यह सवाल पूछने की जहमत कौन उठाये, पूछ भी लें तो कौन सा भला हो जाये?

दिलचस्प यह भी है कि आज इसपर सवाल भी नही उठाये जा रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि न इससे टीआरपी मिलेगी, न इसमे कोई मसाला है, न किसी की दिलचस्पी है।

पापा के हत्यारों को राहुल प्रियंका ने क्यों किया माफ, पढ़ें वजह

उन्होंने इसके पीछे के कारण बताते हुए कहा कि मैंने और प्रियंका ने हिंसा देखी और झेली है। ऐसे में हम हिंसा कतई पसंद नही करते। हम किसी से नफरत नही करते हैं।

राहुल के पांडव-कौरव बयान पर बीजेपी का पलटवार,कहा- राम पर काँग्रेस ने उठाये सवाल

बीजेपी का कहने का तात्पर्य यह है कि जो पार्टी रामायण के औचित्य पर सवाल उठा रही है क्या वह महाभारत को स्वीकार करती है?

क्या वाकई राहुल उभर रहे हैं और मोदी लहर फीकी पड़ रही है?

अगर राहुल मोदी के विकल्प के रूप में खुद को प्रोजेक्ट कर पाने में सफल हुए तो 2019 में न सिर्फ बीजेपी के लिए जीत की राह बड़ी मुश्किल होगी बल्कि यह राहुल की काबिलियत और क्षमता बताने के साथ कांग्रेस की वापसी की राह आसान भी करेगी।

इस नेता का मजाक कितना भी उड़े लेकिन यह तय है कि आज नही तो कल बनेंगे पीएम, पढ़ें

राजनीतिक यात्रा की बात करें तो वह अब भी सांसद हैं, पहले भी रहे हैं। सांसद के रूप में भी उनकी जीत भले ही बहुत बड़ी और मुश्किल नही हो लेकिन जीत जीत होती है। ऐसे में शायद अनुभव होने के साथ अगर राहुल अपने पक्ष या बीजेपी के विरोध में खुद को साबित करने में सफल रहे तो उनको शायद ही पीएम बनने से कोई रोक सके।

सुनंदा पुष्कर- हत्या या आत्महत्या?

बाद के दिनों में सुनंदा पुष्कर की मौत के लिए ज़हर को कारण जरूर बताया गया लेकिन यह साफ न हो सका कि उन्होंने खुद जहर का सेवन किया या उन्हें दिया गया।

किसानों की लाश पर राजनीति कब तक

कर्ज़ माफी, सब्सिडी, खाद पानी हर तरह से यहां तक कि फसल नुकसान से लेकर हर वह कड़ी इस वादे का हिस्सा होती है जिससे किसान मोहित हो सके लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात पर आकर खत्म हो जाता है।

क्या एमपी में बड़ा चुनावी मुद्दा बनेगा किसान आत्महत्या?

सवाल है कि क्या राज्य में किसान आत्महत्या का मुद्दा चुनावी मुद्दा बनेगा या बस जात-धर्म और व्यक्तिगत बातों की बुनियाद पर चुनाव लड़ा जाएगा।