आत्महत्या के मामलों को रोका जा सकता, पढ़ें कैसे

भारत ही नही पूरी दुनिया मे आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। यह किसी भी देश, समाज औऱ परिवार के लिए एक धब्बा है जहां कोई भी व्यक्ति, किसी भी परिस्थिति में आत्महत्या करने को मजबूर होता है।

सिर्फ भारत की ही बात करें और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर गौर करें तो एक दशक के अंदर आत्महत्या के मामलों में 22.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।

आत्महत्या कोई असाध्य रोग नही है न ही ऐसा कुछ है जिसे दूर नही किया जा सकता। यह एक मनोवैज्ञानिक स्थित्ति है जिसे बदला जा सकता है बस जरूरत है एक दूसरे का साथ देने, समझने और समझाने की, इसे आसान से बातचीत एयर संवाद के जरिये सुलझाया जा सकताआ है लेकिन एकाकी भरे इस जीवन मे इससे वंचित लोग के मनोभाव के समझने का समय किसी के पास नही है ऐसे में यह माहौल चिंतनीय है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *