सुखद- कोरोना से निपटने में सफल हुए यह देश, 100 दिन से नही मिला कोई केस

कोरोना महामारी का प्रकोप हर दिन आंकड़ों का एक नया रिकॉर्ड बनाता जा रहा है। हर दिन आंकड़ों के इस खेल में संक्रमितों और मृतकों की संख्या बढ़ती जा रही है। दुनिया के कई देश इससे बेहाल हैं। अमेरिका, ब्राज़ील और भारत इस लिस्ट में टॉप पर हैं। इस महामारी से निपटने की हर कोशिश अभी तक नाकाम या काफी कम साबित हुई है।

हालांकि इन सब के बीच आज एक सुखद खबर न्यूज़ीलैंड से आई। इस देश मे पिछले 100 दिनों में कोरोना का कोई नया केस सामने नही आया है। न्यूज़ीलैंड के अलावा ताइवान और फिजी में भी कोई नया मामला सामने नही आया है। यह इस दौर में किसी चमत्कार से प्रतीत होता है लेकिन इसके पीछे कई सख्त कदम सरकारों ने न सिर्फ उठाये हैं बल्कि आम जनता ने भी भरपूर सहयोग और समर्थन दिया है।

न्यूज़ीलैंड की बात करें तो यहाँ कोरोना वायरस का पहला केस 26 फरवरी 2020 को सामने आया था वहीं अंतिम केस 1 मई 2020 को सामने आया था। इसके बाद 9 अगस्त रविवार तक कोरोना का कोई नया केस सामने नही आया और इस तरह न्यूज़ीलैंड ने बिना किसी नए केस के 100 दिन पूरे कर लिए।

अब आते हैं इस मुद्दे पर आखिर यह सब कैसे संभव हुआ? क्या कोई दवाई या ऐसी वैक्सीन न्यूज़ीलैंड के हाथ लग गई जिससे यह संभव हो सका तो यकीन मानिए जवाब ‘नही’ है। न्यूज़ीलैंड ने इस महामारी से निपटने के लिए भी वही तीन तरीके आजमाए जो पूरी दुनिया आजमा रही है। 

सबसे पहले कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए न्यूज़ीलैंड ने अपने बॉर्डर पर काफी हद तक नियंत्रण पाया और किसी भी ऐसे मरीज को रोकने के ठोस कदम उठाए। दूसरे स्टेप के तौर पर न्यूज़ीलैंड ने कुछ समय के लिए लॉकडाउन भी लगाया और कम्युनिटी स्प्रेड रोकने के लिए फिजिकल या सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया। तीसरे उपाय के तौर पर न्यूज़ीलैंड ने जांच की संख्या बढ़ाई, कांटेक्ट ट्रेसिंग की और क्वारंटाइन के नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया।

कुल मिलाकर न्यूज़ीलैंड ने कुछ नया नही किया लेकिन जो सावधानियां बरती जा सकती थी उसका सख्त और अक्षरशः पालन सुनिश्चित कराया। इसी वजह से आज न्यूज़ीलैंड में पिछले 100 दिनों से कोई केस नही है।

हालांकि कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की न्यूज़ीलैंड से तुलना सही और सटीक तो नही कही जा सकती क्योंकि न्यूज़ीलैंड की आबादी और भारत जैसे देशों की आबादी, शिक्षा, समझ और संस्कृति में एक बड़ा अंतर है। इसके बावजूद यह कहना गलत नही की हमने भी यही कदम उठाए इसके बावजूद पिछड़े और कोरोना के आंकड़े लगातार भयावह होते जा रहे हैं।

कुछ लोगों की वजह से तो कुछ लाचार स्वास्थ्य व्यवस्था की वजह से, ऐसे में देखना है कि अब तक लॉकडाउन के भरोसे रहीं सरकारें कब तक सब सामान्य रूप से संचालित करने को तैयार हो पाती हैं। इस वायरस के प्रसार का दूसरा वजह सही से कांटेक्ट ट्रेसिंग न हुआ और यह सभी को स्वीकार करना ही चाहिए। उम्मीद है न्यूज़ीलैंड की तरह बाकी देश भी जल्द इस महामारी की जद से बाहर निकल सकेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *