मोदी के वह 7 बड़े फैसले जो सभी को समझ न आए लेकिन बदल गए राजनीति की तस्वीर,जान लें

2014 में भारत की सत्ता संभालने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं। इन फैसलों ने न सिर्फ देश की जनता और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव छोड़ा है बल्कि राजनीति पर भी हावी रहे हैं। यूं तो सरकारें फैसला लेती रहती है लेकिन जनता उन फैसलों को किस हद तक समझती है और उनका समर्थन करती है यही किसी भी फैसले के सफलता का पैमाना बन जाता है। आइये आज आपको ऐसी ही कुछ फैसलों के बारे में बताते हैं जो जनता के लिए न सिर्फ बड़े बदलाव, बदली सोच और परेशानी लेकर आये बल्कि विपक्षी राजनीतिक दलों की भी बेचैनी बढ़ा गए।


नोटबन्दी– 70 साल के लोकतांत्रिक इतिहास में शायद ही किसी सरकार ने एकदम अचानक से ऐसे ही कोई फैसला लेने की हिम्मत दिखाई थी। मोदी के इस फैसले से देश अवाक रह गया। सफलता को लेकर सवाल उठे लेकिन जनता ने सरकार का भरपूर साथ दिया। काले धन पर यह सबसे बड़ा वार था। इस फैसले से बैंकिंग से लोग जुड़े। साथ ही विपक्ष आज तक कोई भी पुष्ट आधार देकर इसका विरोध न कर सका।


सर्जिकल स्ट्राइक– उरी में हुए आतंकी हमले के बाद किसी ने शायद ही सोचा होगा कि आर्मी पाकिस्तान में घुसकर बदला लेगी। मोदी ने सेना को न सिर्फ खुली छूट दी बल्कि लगातार इसकी मॉनिटरिंग करते रहे। बाद में न सिर्फ जनता बल्कि विरोधी दलों को भी लोहा मानना पड़ा। हालांकि केजरीवाल जैसे नेता इसका सबूत मांगने से नही चूके वहीं कांग्रेस ने कहा कि पहले भी ऐसी सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी। कांग्रेस सहित अन्य दल इस फैसले का न खुल कर विरोध कर सके न समर्थन।


जीएसटी– वन नेशन वन टैक्स को कांग्रेस ने गब्बर सिंह टैक्स बताया। व्यापारी भी परेशान हुए लेकिन अब इसी जीएसटी से सरकारी खजाना लबालब है। इसमे समय-समय पर कई बदलाव हुए और अब यह पहले के मुकाबले आसान है। कांग्रेस ने जीएसटी का मसौदा तैयार किया था लेकिन बाद में वह विरोध कर रही थी। इससे साफ है यह महज राजनीति से प्रेरित था। जनता ने ऐसी किसी व्यवस्था ले बारे में शायद ही सोचा होगा।


तीन तलाक– मुस्लिम समुदाय तीन तलाक को शरिया के अनुसार चाहता था। यही वजह थी कि आज तक किसी दल ने तीन तलाक के हज़ारों मामले सामने आने के बाद भी कानून की बात नही की लेकिन मोदी सरकार ने समुदाय की नाराजगी को दरकिनार करते हुए महिलाओं का साथ देते हुए इस विधेयक को मंजूरी दे दी। हालांकि सवाल आज भी उठ रहे हैं और उठेंगे लेकिन समाज मे बदलाव के लिहाज से यह फैसला अहम था।


एससी-एसटी एक्ट में संशोधन
– सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जा कर मोदी सरकार ने इस एक्ट में संशोधन किया। बेशक यह राजनीति से प्रेरित था और दलितों को साधने के लिए था लेकिन यह जानते हुए की सवर्ण वोटर जो बीजेपी का कोर वोटर है वो नाराज होगा, सरकार ने यह फैसला लिया। यह फैसला भी अटपटा था और राजनीतिक दल भी इसका विरोध न कर सके। यह अलग है कि हाल में हुए तीन राज्यों के चुनाव में बीजेपी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।


आयुष्मान भारत– देश के इतिहास में सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य योजना। 72 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पीएम मोदी ने इसका ऐलान किया था। इस योजना ले तहत गरीब परिवारों का मुफ्त इलाज होना था। यह योजना इसलिए जटिल और समझ से परे लगी क्योंकि इसमें कैसे, किसका चुनाव हुए यह शायद ही समझ आया। हालांकि जनता को इसका लाभ मिल रहा है और राजनीतिक दल भी थोड़े बहुत विरोध के बाद चुप हैं।


सवर्ण गरीबों को आरक्षण– 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले इसे मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। हालांकि राजनीतिक दल इसे जुमला बता रहे हैं। सवर्ण लोग भी इसका आकलन अपने अपने हिसाब से कर रहे हैं। यह फैसला इतना आसान नही था न लागू करना आसान होगा। इसके बावजूद यह फैसला अहम और काफी बड़ा है।

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