अगर यह जानकारी होती तो भारत बंद के दौरान न जलते 14 राज्य, पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित समुदाय सड़कों पर था। इनकी मांग थी कि एससी/एसटी एक्ट में कोई बदलाव न किया जाए और इसे पहले की भांति ही रहने दिया जाए। इस मांग को मनवाने के लिए आज कल ट्रेंड में चल रहे विरोध के हिंसक तरीके को अपनाया गया। इस प्रदर्शन से न सिर्फ राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान हुआ बल्कि 14 राज्यों में हुई हिंसा में दर्जनों लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए।

इस समुदाय को कई दलों ने अपना समर्थन दिया और इनके साथ सड़क पर उतरे। इस दौरान कमोबेश उत्तर भारत के हर राज्य में अराजकता का माहौल रहा। पुलिस प्रशासन विफल रहा, सरकारें मौन रही और इसका असर यह हुआ कि न सिर्फ गुंडागर्दी खुलेआम हुई बल्कि देश की सर्वोच्च अदालत के खिलाफ बुलाया गया यह बंद देश को आग में झोंक गया।

इस बंद के दौरान नजरें दिन भर टीवी और रेडियो के अलावा मोबाइल से चिपकी रही। टीवी देखता नही लेकिन आज बंद के दौरान अराजकता का आलम यह था कि रोड पर निकलना मुश्किल था। रेडियो सुनता नही लेकिन बुजुर्गों की चौपाल पर चर्चा के दौरान बजट रेडियो पर जब बंद से जुड़ी खबरें आईं तो एक बात साफ हो गई कि कैसे राजनेताओं ने इस भीड़ को बरगला लिया।

इससे भी बड़ा आश्चर्य तब हुआ जब अलग-अलग जगह से बंद की वीडियो आनी शुरू हुई। कोर्ट की अवमानना करते हुए इस बंद के समर्थन में सड़क पर उतरे नेता और कार्यकर्ता इस दौरान खूब उछल-कूद मचाये हुए थे। लेकिन आपको जान कर आश्चर्य होगा, मुझे बताते हुए हो रहा है कि यह बंद क्यों बुलाया गया है इसका पता सौ में 90 लोगों को नही था।

शाम में घूमते हुए जब बंद में शामिल एक छुटभैये नेताजी से मुलाकात हुई तो वह कहते मिले की बीजेपी आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से खत्म करना चाहती थी। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इसे ‘खत्म’ किया। यहाँ ध्यान देने योग्य पहली बात है कि आरक्षण को लेके कोई बात हुई ही नही।

दूसरी बात जब अगुवा ऐसा है तो भीड़ कैसी होगी? तीसरी बात सरकार या मीडिया ने यह बात आज से पहले क्यों नही प्रसारित कर जागरूकता फैलाने की कोशिश की कि यह फैसला कानून के सही उपयोग संबंधी संसोधन से जुड़ा है। इसके गलत इस्तेमाल को रोकने से जुड़ा है न कि आरक्षण और उनके हक से। काश इस भीड़ को यह जानकारी होती तो आज 14 राज्य इस तरह बेवजह हिंसा की आग में न जल रहे होते।

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