जम्मू कश्मीर के नए उप राज्यपाल के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता मनोज सिन्हा शपथ ले चुके हैं। शपथ लेने के बाद उन्होंने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से भी मुलाकात की थी। इसके अलावा कई दौर की मीटिंग और कई त्वरित फैसले भी उन्होंने लिए। पहले ही यह माना जा रहा था कि मोदी के करीबी रहे सिन्हा के पास राजनीति के साथ कुशल प्रबंधन का अनुभव है और यही वजह है कि केंद्र ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।
मनोज सिन्हा के बाद क्या कश्मीर में केंद्र कुछ और नया करने जा रहा है? यह सवाल तब उठ खड़ा हुआ जब पूर्व नौकरशाह शाह फैसल ने अपनी राजनीतिक पार्टी से इस्तीफा दे दिया। माना जा रहा है कि 2019 में राजनीतिक दल का गठन करने वाले शाह दुबारा प्रशासनिक सेवा में लौट सकते हैं। यह आम बात है कि कई अधिकारी जो प्रशासनिक सेवा छोड़ गए और दुबारा लौट आये लेकिन शाह के मामले में यह थोड़ा अलग इसलिए माना जा रहा है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार उप- राज्यपाल की अगुवाई में राजनीतिक गतिविधियों को बहाल करने की कोशिश में लगा है।
इन कोशिशों के बीच पहले मनोज सिन्हा का जम्मू-कश्मीर आना और अब शाह फैसल की वापसी यह संकेत देती हैं कि शाह कश्मीर में अहम भूमिका निभाएंगे। खबरों और सूत्रों के अनुसार उन्हें उप राज्यपाल का मुख्य सलाहकार बनाया जा सकता है। इस चर्चा को बल इसलिए भी मिला क्योंकि सरकार जम्मू कश्मीर में राजनीतिक सलाहकार बनाने की बात कह चुकी है। इस समिति में कई बड़े नेता, पूर्व मुख्यमंत्री शामिल होंगे। इस समिति को राजनीतिक गतिविधियों और विश्वास बहाली की कोशिश के तौर पर जोड़ कर देखा जा रहा है। ऐसे में राजनीति छोड़ दुबारा प्रशासनिक सेवा में लौटने पर शाह अगर जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ कदम मिला कर चलते दिखे तो कोई आश्चर्य नही होगा।