मौत से ठन गई लेकिन हार नही मानूँगा, रार नई ठानूँगा- अटल जी

आज से कई वर्ष पहले जब किसी रोज, किसी सोच में अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी एक कविता की कुछ पंक्तियों में इन विचारों को उकेरा होगा तब यह कतई नही सोचा होगा कि उनकी यह पंक्तियां एक दिन पूरे देश को विचलित और व्याकुल कर देंगी। अटल जी लंबे समय मे राजनीति और सार्वजनिक जीवन से ओझल थे। भारत रत्न मिला तब फिर सुर्खियों में आये लेकिन ऐसा भी नही की वह इन सुर्खियों की वजह से चर्चा में आने के मोहताज थे। वह तो हर दिल अजीज हैं। सबके पसंदीदा नेता। सबके मन मे उनके प्रति अपार स्नेह और प्यार है।

यही वजह है कि आज देश के हर कोने में हर हाथ उनके लिए अपने भगवान और खुदा से दुआ मांग रहा है। अटल जी की तबियत नाजुक है। कभी भी कोई अनहोनी खबर देश को झकझोर सकती है। दिल्ली में उनके आवास की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जा चुकी है। इलाके को खाली करा लिया गया है। पीएम मोदी खुद वहां जाने वाले हैं। एम्स में भी यही हाल है। व्याकुलता का आलम यह है कि लोग सोशल मीडिया से लेकर हर उस माध्यम पर नजरें गड़ाए बैठे हैं कि न जाने कब कैसी खबर आ जाये।

अटल जी ने अपनी कविताओं में लिखा है काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ, गीत नया गाता हूं। अपनी एक दूसरी कविता में वह लिखते हैं मौत से ठन गई लेकिन हार नही मानूँगा। यह जीवटता आज भी दिख रही है। 2009 से वह लगातार दवाई और डॉक्टरों के सहारे हैं। विगत 11 जून से एम्स में हैं लेकिन यह उनकी मौत से जंग लड़ने की जीवटता ही है कि वह कई बार उसे मात दे गए। लोगों को सुकून दे गए।

काश ऐसा फिर होता। इसकी उम्मीद कम है लेकिन भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष, कवि पंडित अटल बिहारी वाजपेयी के लिए आज हर दिल से दुआ निकल रही है। पूरा देश चिंतित और व्यथित है। हो भी क्यों न परमाणु सम्पन्न देश बनाने वाले यही अटल जी हैं। संयुक्त राष्ट्र में हिंदी का डंका इन्ही अटल जी ने बजाया। पाकिस्तान को सबक सिखलाया। राजनीति को नई राह सरकार गिरा कर दिखाई। कई दलों को साथ लेकर सरकार चलाई। वह वाकई महान थे, हैं और रहेंगे। उम्मीद है कुछ अच्छी खबर आए। दुआ कबूल हो, अटल जी दीर्घायु बनें।

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