कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी के राजनीतिक भविष्य को लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही है कोई कह रहा है कि वह इस महीने के अंत तक कांग्रेस के अध्यक्ष बनाये जा सकते हैं जबकि कोई कह रहा कि 2019 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस अपनी वापसी के लिए उनकी राजनीतिक कुर्बानी देकर किसी और चेहरे को मोदी के खिलाफ उतर सकती है. हालांकि यह सभी बातें अभी आकलन हैं.

राहुल गांधी की बात करें तो कई मौके ऐसे आये हैं जब उनकी वजह से पार्टी का मजाक उड़ा है और वह मोदी के सामने बौने नजर आये हैं. राजनीति उन्हें विरासत के रूप में मिली है लेकिन यह तो तय है कि मोदी राजनीतिक अनुभव के मामले में उनसे आगे हैं और देश में उनकी स्वीकार्यता राहुल से कहीं ज्यादा है.

राहुल भले ही खुद को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट करने की बात कहते नजर आते हैं लेकिन आज भी कांग्रेस के अन्दर ही उनको नेता के रूप में स्वीकार करने में शीर्ष नेतृत्व हिचकता नजर आ रहा है. यह भी तय है कि कांग्रेस में वरिस्थ नेतृत्व के बिना सिर्फ युवा नेतृत्व राहुल का भविष्य नहीं बना सकता है.
राहुल खुद स्वीकार कर चुके हैं कि मोदी उनसे अच्छे वक्ता हैं इसके अलावा राहुल जहाँ पर्ची लिखी भाषण पढने के लिए जाने जाते हैं वहीँ प्रधानमंत्री मोदी मौका देख कर चौका लगाने के लिए मशहूर हैं यह अलग बात है कि राहुल के फैक्ट और फिगर वाले भाषण भी मोदी के हवाबाजी वाली बातों के आगे फीकी नजर आती है.

मोदी और बीजेपी की राजनीति हिंदुत्वा के आसपास नजर आती है, देश में आज का माहौल भी यही कहता है वहीँ कांग्रेस सेक्युलर राजनीति में विश्वास करती है जो राहुल पर भरी पड़ सकती है क्यूंकि हिन्दू आबादी बहुसंख्यक है और वह अपनी एकता के साथ वोट की ताकत को पहचान चुका है इसलिए अल्पसंख्यकों के बदौलत सत्ता में वापसी की राह भी राहुल के लिए 2019 में मुश्किल नजर आ रही है.

2014 में मोदी के आने के बाद बीजेपी को कई राज्यों में सत्ता मिलती गई. एक बिहार विधानसभा चुनाव 2015 को छोड़कर बात करें तो बीजेपी ने लगभग हर उस राज्य में अपनी सरकार बनाई जहाँ मोदी और अमित शाह पहुंचे या यूँ कहें जहाँ भी चुनाव हुए यह कांग्रेस के लिए सबसे बड़े खतरे की घंटी है. ऐसे में 2019 में राहुल और कांग्रेस की वापसी मुश्किल नजर आ रही है.
यह भी एक महत्वपूर्ण बात होगी कि 2014 में मोदी और 2015 में नितीश को सत्ता तक पहुँचाने वाले प्रशांत किशोर अब बीजेपी के साथ नहीं हैं. हालांकि इससे बीजेपी की रणनीति में कोई कमी नजर नहीं आ रही लेकिन कांग्रेस 2019 में कांग्रेस कैंब्रिज ऐनालिटिका नाम की उस चर्चित कंपनी के संपर्क में है जिसने पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को जितवाने में अहम भूमिका निभाई थी. यानि प्रोफेशनल्स की कमी राजनीति में बीजेपी को भरी पड़ सकती है.

राहुल के लिए कांग्रेस की भ्रष्टाचार वाली छवि से उबरना भी मुश्किल नजर आता है वहीँ बीजेपी और केंद्र की मोदी सरकार के किसी भी मंत्री के खिलाफ ऐसा कोई आरोप नहीं है इससे जनता के बिच एक अच्छा सन्देश गया है और यही बीजेपी के लिए 2019 में प्लस पॉइंट साबित हो सकता है.
You really make it seem really easy along with your presentation however I to find this matter to be really one thing which I think I would by no means understand. It sort of feels too complex and extremely vast for me. I am having a look ahead to your subsequent submit, I’ll try to get the hang of it!
I’m not certain where you are getting your information, but good topic. I must spend a while learning much more or working out more. Thanks for wonderful info I was in search of this info for my mission.