जब किसानों ने आत्महत्या की जगह चुनी क्रांति की राह

महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या का रिकॉर्ड सबसे भयावह है। सबसे ज्यादा किसान इसी राज्य में आत्महत्या करते हैं। वजह कर्ज ही है जिसका भुगतान करने में वह असफल होते हैं और इसकी कीमत उन्हें अपनी जान गंवाकर चुकानी पड़ती है। हालांकि अब लोग जागरूक हो रहे हैं और सरकार के खिलाफ लामबंद भी दिख रहे हैं यही वजह है कि साल 2017 में महाराष्ट्र के किसानों की एक बड़ी क्रांति देखने को मिली और विरोध प्रदर्शन का एक लंबा दौर चला।


1 जून को महाराष्ट्र के किसानों ने एक उग्र आंदोलन शुरू किया और नाम दी किसान क्रांति। किसानों ने इस दैरान सरकार को न सिर्फ चेतावनी दी बल्कि कई गैलन दूध सड़कों पर बह दिया, शहरों में फलों और सब्जी की आपूर्ति रोक दी गई। किसानों का यह विरोध सरकार की नीतियों और योजनाओं को लेकर था। उनका कहना था कि सरकार किसानों के लिये कुछ नही कर रही और कृषि अब घाटे का सौदा साबित हो रहा है जिससे किसान बदहाल है और आत्महत्या को मजबूर है। इस आंदोलन का असर यह हुआ कि महाराष्ट्र की राजनीति में उथल पुथल मच गई और कृषि मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक हड़बड़ा उठे। हालांकि नतीजे क्या रहे इस पर आज तक संशय है।

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