समाज में लड़का और लड़की को लेकर रूढ़ीवादी विचार सदियों से चले आ रहे हैं… यह विचार महिलाओं के जीवन में किसी पहाड़ से कम नहीं हैं… कई ऐसे काम हैं, जिनमें पहले ही मान लिया जाता है कि यह काम केवल लड़के ही कर सकते हैं… जब उसी काम को लड़कियां करने की कोशिश करती हैं तो, उनके पंख कतरने की भी तमाम कोशिशें होती हैं… महिलाओं के लिए यह कोई नई बात नहीं है कि वे चाहें कितनी भी काबिल क्यों ना हों, उन्हें सेक्सिज्म का सामना करना पड़ता है….
लखनऊ की रहने वाली गुंजन सक्सेना ने 90 के दशक में एक नया इतिहास रचा था…जब वह भारतीय वायुसेना में पायलट बनी… उन्होंने यह तब किया, जब फेमनिज्म का इतना बोलबाला नहीं था… 90 के दशक में जो हुआ वही एक बार फिर दोहराया जा रहा है… हम बात कर रहे हैं कारगिल गर्ल पर आधारित फिल्म गुंजन सक्सेना की जिसे हाल ही में रिलीज़ किया गया है… लेकिन इसके रिलीज़ होते ही इसपर विवाद खड़ा हो गया है…
आपको बता दें कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई इस फिल्म के खिलाफ याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि इस फिल्म से वायुसेना की छवि खराब हो रही है… कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि वो पहले अपनी मांग सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पास रखें… याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में ऐसे सीन्स को हटाने की मांग की थी जिनसे वायुसेना की छवि खराब हुई है… इसके अलावा तब तक ओटीटी प्लेटफार्म पर फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग भी की गई थी।
लेकिन फिलहाल के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म गुंजन सक्सेना- द कारगिल गर्ल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है… तो वहीं दूसरी तरफ़ महिला आयोग की चेयरपर्सन रेखा शर्मा इस फिल्म की स्क्रीनिंग बंद करवाना चाहती थीं। उन्होंने कड़े शब्दों में कहा था कि अगर इस फिल्म ने फोर्सेस के खिलाफ कुछ भी दिखाया है, तो इसे नहीं देखा जाना चाहिए और मेकर्स को माफी भी मांगनी चाहिए।