पुलिस का इससे विभत्स चेहरा शायद ही नजर आए, यह अपने विभाग के नही तो आपके क्या होंगे?

पुलिस की कार्यशैली पर सवाल यूँ तो गाहे बगाहे उठते रहते हैं। कभी अवैध वसूली को लेकर तो कभी अपराधियों को संरक्षण देने को लेकर, कभी बेकसूर को प्रताड़ित करने को लेकर तो कभी खुद कानून का माखौल उड़ाने को लेकर लेकिन यह अभी तक आम जनता के लिए था। इतना माना जाता था कि कम से कम ये अपने लोगों और अपने विभाग के प्रति तो ईमानदार होंगे।

हालांकि यह गलतफहमी भी अब दूर हो गई है। यह विभत्स और क्रूर चेहरा दिखलाया है बिहार पुलिस ने वह भी अपने ही विभाग के एक सिपाही के प्रति, यह चेहरा कितना भयानक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिपाही को उसी के साथियों ने एक डीएसपी रैंक के अधिकारी के कहने पर इतना पीटा की वह मर गया। और तो और इस मामले को दबाने की भरपूर कोशिश हुई लेकिन अब मामले ने न सिर्फ तूल पकड़ लिया है बल्कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह तक से इंसाफ की गुहार लगाई जा रही है।

यह घटना बिहार के बेगूसराय जिले की है। जहां एक सिपाही पर आरोप था कि उसने जान लेने की नीयत से अपने सीनियर अधिकारी पर गोली चलाई। इसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया औऱ जानवरों से भी बदतर सलूक करते हुए उसके हाथ पैर बांध कर इतना पीटा गया कि उसने दम तोड़ दिया। मृतक सिपाही का नाम गौरीशंकर है और वह बिहार के बांका जिले के निवासी थे। इसके अलावा सीनियर अधिकारी भी इस मामले में दोषियों पर कार्रवाई करने की बजाए उसे दबाने में लग गए।

आरोपियों पर एफआईआर तक दर्ज नही की गई। बाद में एक वरिष्ठ अधिकारी ने यहां तक कह दिया कि उनका परिवार गलतफहमी में आकर एफआईआर दर्ज कराना चाह रहा था, हालांकि उन्हें समझा दिया गया है। अब सवाल है क्या समझाया गया? समझाने का अर्थ धमकाना और डराना क्यों नही है? आज वही परिवार टूट चुका है,न्याय की आशा दम तोड़ रही है और किंकर्तव्यमूढता की पर्याय बिहार पुलिस और इसके मुखिया अब तक कुम्भकर्णी नींद में सोए हुए हैं। 

गौरतलब है कि इस विवाद की जड़ में चुनावी ड्यूटी को मुख्य वजह बताया जा रहा है। खबरों के मुताबिक बेगूसराय पुलिस लाइन में यह विवाद उस वक़्त हुआ जब वहां ड्यूटी को लेकर गौरीशंकर सिंह और डीएसपी दिनेश कुमार के बीच कहा सुनी हो गई। इसके बाद गुस्से में गौरीशंकर अपनी बंदूक लेकर डीएसपी के सामने पहुंचे। इसके बाद कि बातें विरोधाभाषी हैं। कहीं इसके बाद गोली चलाने की बात सामने आ रही है तो कहीं कहासुनी के बाद हथकड़ी लगा उन्हें जानवरों की तरह मारने का आरोप है। यही सच भी है क्योंकि दैनिक भाष्कर की खबर में वह तस्वीर छपी भी है।

तस्वीर इतनी भयावह है कि आम जनमानस को दिखाना शायद ठीक न हो। अब अगर आगे की बात करें तो उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं। बांका की पूर्व सांसद पुतुल देवी ने भी परिजनों से मुलाकात कर हर संभव मदद की बात कही वहीं अन्य नेता भी इसमे न्याय के लिए संघर्ष की बात करते दिख रहे हैं। खास कर बांका के युवाओं और जागरूक लोगों ने इसके लिए आंदोलन छेड़ रखा है। उम्मीद है पुलिस के इस विभत्स बर्ताव के खिलाफ गौरीशंकर सिंह को न्याय मिलेगा और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

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