आज देश का शायद ही ऐसा कोई राज्य है जो दावे के साथ कह सके कि वहां रोजगार की कोई कमी नही है और लोग पलायन नही करते हैं। गरीबी और अशिक्षा से पीड़ित हर राज्य, हर गांव के लोग बड़े शहरों खास कर महानगरों की ओर तेजी से पलायन कर रहे हैं। इसकी वजह रोजगार और रोजी-रोटी की तलाश है। ऐसा नही है कि गांव में काम नही है या लोग करना नही चाहते लेकिन वहां माहौल के साथ कमाई उतनी नही जितनी शहरों में है। हालांकि शहरों में ज्यादा कमाने के बावजूद लोग बचा उतना भी नही पाते जितना गाँव मे रह कर बचा लेते हैं।
शहर आने वाला या अपना राज्य और समाज छोड़ रोजगार ढूंढने वाला हर व्यक्ति महानगर में आकर अपने अरमान पूरे कर ले या उसे तुरंत नौकरी मिल जाये यह कहीं से जरूरी नही, इसके अलावा यहां उन्हें जिंदगी को मैनेज करने सीखना पड़ता है, घर परिवार से दूर रहना पड़ता है जिसका सीधा असर उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। यह तब और गहरा हो जाता है जब चाहते हुए भी वह घर नही जा पाते या अपने लिए वक़्त नही निकाल पाते। ऐसे में वह अवसाद और तनाव से घिर जाते हैं। इसके बाद बारी नशे की आती है और अंततः स्थित्ति ऐसी बनती है जिसमे वह कोई गलत कदम उठा जाते हैं। ऐसे में हम कह सकते हैं कि मजदूरों में आत्महत्या का एक बड़ा कारण पलायन भी है।