15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन को कड़े शब्दों में साफ़-साफ़ सन्देश दिया था जिसमें उन्होंने कहा था की भारत की संप्रभुता हमारे लिए सर्वोच्च है और किसी भी कीमत पर इसके साथ समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जिसने भारत की तरफ आँख उठाकर देखा है, हमारी सेना ने उसको उसी की भाषा में जवाब दिया है.
मोदी की इस चेतावनी के बाद चीन के तेवर नरम होते दिखे. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान से एक विदेशी पत्रकार ने मोदी के भाषण पर जब प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने कहा- चीन भारत से राजनितिक भरोसे को बढ़ाना चाहता है. मतभेदों को सुलझाकर द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत कर आगे बढ़ना चाहता है. लिजियान के इस बयान से एक बार तो चीन का रुख नरम पड़ता दिखाई दिया. मगर चीन तो चीन है. अपनी हरकतों से कहाँ बाज़ आने वाला है.
एक तरफ जहां उनके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सम्बन्धो को मज़बूत करने की बात कर रहे थे, वहीँ दूसरी और चीन के विदेश मंत्री वांग यी तिब्बत के दौरे पर पहुँच गए जिसमें भारत से लगते तिब्बत के कुछ विवादित क्षेत्र भी है. इस दौरे को साफ़ तौर पर प्रधानमन्त्री मोदी के भाषण के बाद की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है. जानकारों की माने तो वांग यी का ये दौरा कोई आम दौरा नहीं है क्यूंकि पिछले काफी समय से चीन के किसी भी सीनियर अधिकारी ने तिब्बत का दौरा नहीं किया था.
पिछले काफी समय से भारत और चीन के बीच लद्दाख में भारी तनाव की स्थिति बनी हुई है. कई दौर की बातचीत के बाद भी अभी तक कोई ठोस हल नहीं निकल पाया है