भारत भर में इन दिनों JEE और NEET परीक्षा को रद्द करने की मांग जोरों पर है। कोरोना महामारी के इस दौर में छात्रों की जहां अपनी चिंताएं हैं वहीं सरकार के पास इस परीक्षा को आयोजित करने के अपने आधार और तर्क हैं। सरकार की तरफ से जहाँ शिक्षा मंत्री स्पष्ट कर चुके हैं कि परीक्षा के आयोजन को लेकर अभिभावकों का दबाव है वहीं विपक्षी दल सरकार से परीक्षा टालने की अपील कर चुके हैं और अब सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की तैयारी में हैं।
परीक्षा रद्द करने की मांग के पीछे कोरोना ही एकमात्र वजह नही है। इसके पीछे कई और कारण हैं। इन कारणों में एक है देश के अधिकतर हिस्सों में जारी भारी बारिश और बाढ़ ने जनजीवन अस्त व्यस्त कर रखा है। ऐसे में एक जगह से दूसरे जगह जाना काफी मुश्किल है। इस वजह से भी काफी छात्र इसे टालने या रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा कई राज्यों में अब भी आंशिक या सम्पूर्ण लॉकडाउन लगा हुआ है। ऐसे में नियमों के पालन के साथ आने जाने के लिए वाहन का प्रयोग करने में ढेरों दुश्वारियां हैं।
देश भर में कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों के बीच कई छात्र ऐसे इलाकों में हैं जहां कोरोना के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं और कई कंटेंमेंट जोन घोषित किये गए हैं। ऐसे में बाहर निकलना और ससमय परीक्षा केंद्र पर पहुंचना बड़ी चुनौती है। इसके अलावा परीक्षा केंद्रों पर सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य प्रोटोकॉल के पालन को लेकर भी छात्र गंभीर चिंताओं का सामना कर रहे। हालांकि इन चुनौतियों के बावजूद सरकार परीक्षा के फैसले पर अभी तक अडिग है।