ममता की पार्टी ने संसद में प्रश्नकाल को लेकर किया संग्राम, बंगाल में खुद लगाया विराम पढ़ें दोहरी नीति

अच्छे कामों का विरोध अगर आपको सीखना हो या अनुभव लेना हो तो आप भारतीय राजनीतिक दलों को अपना आदर्श मान सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह अच्छे कामों का विरोध या खिलाफत महज इसलिए करते हैं कि विपक्ष का यह परम कर्तव्य है। इसका ताजा उदाहरण हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमों ममता बनर्जी।


यह वही ममता बनर्जी हैं जिन्होंने संसद में मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल के आयोजन न करने को लेकर बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को अपने निशाने पर लिया था और अब वह खुद पश्चिम बंगाल में प्रश्नकाल से किनारा कर रही हैं। आपको बता दें कि यह वही तृणमूल कांग्रेस है जिसके नेता डेरेक ओ ब्रायन ने एक के बाद एक ट्वीट करते हुए कहा कि मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल का आयोजन न करना लोकतंत्र की हत्या जैसा है।


अब इसी तृणमूल कांग्रेस की अगुवाई में बंगाल विधानसभा में सत्र का आयोजन तो होगा लेकिन प्रश्नकाल नही होगा। इसकी पुष्टि खुद पश्चिम बंगाल विधानसभा के स्पीकर बिमान बंदोपाध्याय ने की है। उन्होंने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा कि यह इतने कम समय में संभव नहीं है। मैं स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण अपने विधायकों को लंबे समय तक अंदर नहीं रखना चाहता।” बंदोपाध्याय ने कहा, “देश में कोई भी विधानसभा लंबे समय तक सत्र नहीं चला रही है। साथ ही उन्होने कहा कि सभी विधायकों का पहले कोरोना टेस्ट भी होगा।

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