उत्तरप्रदेश में योगीराज शुरू हो गया है।नए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी धड़ाधड़ फैसले लेने में लगे हैं।बीजेपी योगी को सीएम बना मोदी के लिए 2019 से 2024 तक मार्ग प्रशस्त करने की बात सोच कर खुश है।विपक्ष के लिए अस्तित्व पर खतरा बन आया है। मायावती,अखिलेश,राहुल,मुलायम कोई भी बयानबाज़ी में नहीं पड़ना चाहता है।
सभी हारी हुई पार्टियों के लिए इस हार के मायने बहुत हैं,मायने बीजेपी के लिए भी बहुत हैं लेकिन जहाँ विरोधियों के सामने चुनौती होगी मोदी के बाद अब फायरब्रांड योगी से निपटने की वहीँ बीजेपी के पास चुनौती है योगी के भरोसे मोदी के लिए लोकसभा वैतरणी पार करने की है।
उत्तरप्रदेश में इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए योगी को लाया भी गया है। यूपी में योगी उदय चुनावों से पहले हो चुका था। पूर्वांचल के हर इलाके गोरखपुर हो या ग़ाज़ीपुर,बनारस हो या बलिया एक साल पहले ही युवा जंवान महिलाएं सब योगी-योगी के नारे लगा रहे थे। यह बात अलग है कि योगी के नाम चुनावों के बाद यूपी के सबसे बड़े नेता के रूप में सामने आया। योगी न सिर्फ बड़े हिन्दू समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं बल्कि वह हर वर्ग,जाति और समुदाय के प्रिय हैं। खासकर युवाओं में उनकी लोकप्रियता का कोई सानी नहीं है। इस चुनाव में दो तथाकथित युवाओं की हार भी अपने आप में बहुत कुछ कहती है।
योगी को चुनावों से पहले ही मुख्यमंत्री चेहरा बनाने की मांग उठती रही थी। इस मांग को लेकर बीजेपी खुश तो थी लेकिन उनकी हिंदूवादी छवि को लेकर एक डर भी था।प्रचंड बहुमत के बाद यह डर दूर हुआ। उसके बाद योगी सब को पीछे छोड़ते हुए देश के सबसे बड़े सूबे के सीएम बन बैठे। कई नेता संघ और शाह के करीबी रह कर भी हाथ मलते रह गए। यह कोई चमत्कार या योगी से बीजेपी का प्यार नहीं था। यह रणनीति है। आगे के विजय पथ को पाने की। यह तैयारी है राम मंदिर की ओर बढ़ने की। यह तैयारी है दो साल में उत्तरप्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की।
योगी को सीएम बनाने के पीछे उनका योगी होना ही सबसे बड़ा कारण है। वह अविवाहित मुख्यमजत्रियों के क्लब में शामिल हो गए हैं। मोदी और मनोहर के बाद बीजेपी ने योगी को उनकी इस ख़ासियत की वजह से भी सीएम बनाया है। योगी की नेतृत्व क्षमता के साथ,उनकी छवि और लोकप्रियता उत्तरप्रदेश की मांग थी। चुनावों से पहले आये अलग अलग सर्वे में भी योगी सबसे लोकप्रिय रहे थे।नारों में कहा गया था देश में मोदी,राज्य में योगी। अब यह जाकर सच साबित हो रहा है।
योगी भी कार्यभार संभालने के बाद रुके नहीं हैं। यह उनकी छवि का कमाल कहें या सत्ता परिवर्तन का डर योगी के आते ही प्रशासन भी अपने तेवर दिखने में लगा है। बात अवैध रूप से चलाये जा रहे कत्लखानों की हो,अवैध खनन की हो या एंटी रोमियो स्कॉड बनाने की योगी ने हड़कंप मचा रखा है। अब तक राज्य भर में 50 अवैध कत्लखाने बंद करवाये जा चुके हैं। सैकड़ों ट्रक और जेसीबी जब्त हो चुकी है। कई रोमियो जेल में हैं।एक हफ्ते से भी कम समय में की गई यह कारवाई सरकार के इरादे बताने को काफी है।
योगी एक गौ भक्त हैं। अपने चुनावी सभाओं और भाषणों में भी वह गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की बात पर जोर देते रहे हैं। ऐसे में यूपी में अगर यह कारोबार बंद हुआ तो व्यापारियों के साथ सरकार को भी नुकसान होगा। खैर फायदा नुकसान की बात बहुत अहम् इसलिए भी नहीं है क्योंकि बिहार में शराबबंदी और इसके वजह से होने वाले राजस्व के नुकसान को नजर अंदाज कर इसे लागू करते हुए इसके फायदे देखे जा चुके हैं।
आदित्यनाथ योगी के मन में सवालों के साथ जिम्मेदारियों का बोझ भी है। योगी से जनता की उमीदें और बीजेपी का भविष्य जुड़ा है। ऐसे में अब देखना है कि योगी कैसे और कौन से फार्मूले लगाते हुए किन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा ध्यान देंगे। ऐसे उनकी प्राथमिकता युवाओं को रोजगार और पिछड़े इलाकों का विकास है। बाकी राम जानें।