उत्तरप्रदेश में हाल ही में लोकसभा की दो सीटों पर उपचुनाव हुए। यह सीटें पहले बीजेपी के पास थी और वर्तमान में राज्य के मुखिया योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से खाली हुई थी। इस चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के साथ साथ सपा-बसपा के गठबंधन की वजह से इनकी भी प्रतिष्ठा दांव पर थी। बीजेपी को जीत का दावेदार माना जा रहा था। हालांकि जब नतीजे आये तो चौंकाने वाले रहे। यहां बीजेपी हार गई हालांकि इसके बावजूद कांग्रेस भी बीजेपी के हारने का जश्न न मना पाई। अब आप सोच रहे होंगे क्यों? आइये हम बताते हैं।
दरअसल कांग्रेस ने यूपी में सपा से गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़ा था। गठबंधन फ्लॉप हुआ और सपा-कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। हालांकि गठबंधन धर्म जारी रहा, इसी बीच जब बात इन दो सीटों पर चुनाव की आई तो कांग्रेस ने एक जाल बनाया, और खुद ही फंस गई।
कांग्रेस ने सपा-बसपा पर दबाव बनाने के मकसद से दोनों सीटों पर सपा प्रमुख अखिलेश के मना करने के बावजूद प्रत्याशी खड़े किए। इसके पीछे मकसद यह था कि या तो सपा झुके और एक एक सीट पर बात बने या अगर अभी बात नही भी बनी और बीजेपी जीत गई तो आगे सपा पर दबाव बना कर कांग्रेस को ज्यादा सीटें मिलें। हालांकि यह आईडिया फ्लॉप साबित हुआ और जाल बनाने के चक्कर मे कांग्रेस अपनी ऐसी तैसी करा बैठी। कांग्रेस प्रत्याशियों के दोनों ही सीटों पर जमानत तक जब्त हो गई।