सपा के संस्थापक और सांसद मुलायम सिंह यादव ने कल संसद भवन में पीएम मोदी को आशीर्वाद और शुभकामना क्या दी, राजनीति में उफान आ गया. यह होना लाज़मी भी था. एक तरफ जहाँ अखिलेश बुआ मायावती के साथ गठबंधन कर मोदी की राह कठिन करने में लगे हैं वहीँ मुलायम शुभकामना दे बैठे. इस बयान को जहाँ बीजेपी ने लपक लिया और मुलायम का आभार प्रकट किया वहीं मुलायम के दो पुराने सहयोगियों ने भी अपने अपने हिसाब से इसके मायने बताये. इसके अलावा तीसरी वजह आम जनता और सोशल मीडिया पर चर्चा में है.आइये अब एक-एक कर तीनो वजहें बताते हैं.
पहली वजह यह की मुलायम सिंह यादव आज अपने ही दल में बेगाने से हो गए हैं. भाई शिवपाल अलग राह पर चल रहे हैं वहीँ सपा की कमान अखिलेश के हाथ में है. उनकी सलाह या संगठन में भूमिका की महत्ता लगभग शून्य है. ऐसे में राजनीति के पहलवान मुलायम को शायद यही ठीक लग रहा हो.इसके अलावा गठबंधन से कांग्रेस बाहर है और गठबंधन की एकजुटता हमेशा से सवालों के घेरे में रही है. ऐसे में शायद मोदी लहर का अंदाज़ा मुलायम को है यह भी बड़ी वजह है.
दूसरी वजह मुलायम के दो पुराने सहयोगियों के बयानों में नजर आती है. इन दो सहयोगियों में पहले हैं अमर सिंह और दूसरे हैं आज़म खान. अमर सिंह ने लोकसभा में मुलायम सिंह यादव की टिप्पणी पर कहा है कि यह बयान भ्रम पैदा करने के लिए है. उन्होंने कहा है कि नोएडा को लूटने वाले चंद्रकला और राम रमन, मुलायम और मायावती का साथ हासिल होने से बचे रहे. मुलायम अब चाहते हैं कि मोदी जी इस मामले में शांत बने रहें. ये पूरी बयानबाजी अपने भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए की जा रही है. वहीँ आज़म खान ने मुलायम सिंह के बयान पर दुख जताते हुए कहा कि यह बयान उनके मुंह में डाला गया है. यह नेता जी (मुलायम सिंह) का बयान नहीं है. यह बयान उनसे दिलवाया गया है. इसके पीछे क्या मंशा है, यह बताने की जरूरत नहीं है.
तीसरी वजह और सोशल मीडिया पर जारी चर्चाओं पर गौर करें तो एक अलग ही तथ्य निकलकर सामने आता दिखता है. हालाँकि यह महज हास्य और परिहास नजर आता है लेकिन सक्रिय राजनीति में लगभग स्थिर होते जा रहे मुलायम पर कहीं न कहीं यह बात एक हकीकत सी लगती है. कल से लेकर अभी तक की सोशल मीडिया पर खास कर सपा-बीजेपी कार्यकर्ताओं की बात पर गौर करें तो यह कहा जा रहा है कि अखिलेश गठबंधन के चक्कर में रहे और मुलायम इस बयान के माध्यम से राष्ट्रपति पद के लिए अपना नाम आगे कर गए. चूँकि अभी राष्ट्रपति चुनाव में काफी वक़्त बाकी है और तो औरर लोकसभा में भी महज आकलन और अनुमान का दौर जारी है ऐसे में इस बयान का बहुत मतलब तो नहीं लेकिन इन तीनों ही वजहों में दम तो है.