डीएमके के वयोवृद्ध नेता एम करुणानिधि के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार का मामला कोर्ट तक पहुंच गया। डीएमके नेतृत्व और कार्यकर्ता करुणानिधि का अंतिम संस्कार चेन्नई के मरीन बीच पर करना चाहते हैं जबकि तमिलनाडु सरकार ने इसकी इजाजत नही दी। इसके बाद राजनीतिक बवाल और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ।
इस दौर का अंत तब हुआ जब मामला मद्रास हाइकोर्ट पहुंच गया और वहां से फैसला डीएमके के पक्ष में आया। कोर्ट ने मरीना बीच पर करुणानिधि के अंतिम संस्कार के लिए इजाजत दे दी है। आपको बता दें कि कोर्ट के फैसले से पहले देश के कई दिग्गज नेताओं ने तमिलनाडु सरकार से मरीन बीच पर जमीन देने का आग्रह किया था।
अब आइये आपको बताएं कि तमिलनाडु की राजनीति में राजाजी हॉल और मरीन बीच इतना खास क्यों है? आपको बता दें कि मरीन बीच ही वह जगह है जहां द्रविड़ आंदोलन के अगुवा रहे अन्नादुरै, एआईडीएमके के संस्थापक और अन्नादुरै के सहयोगी एमजीआर और पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की समाधि है।
ऐसे में अन्नादुरै के बाद करुणानिधि के हाथों में डीएमके की कमान 50 साल तक रही। ऐसे में समर्थकों का मानना है कि उनकी समाधि भी एना के पास होनी चाहिए। यह आस्था का केंद्र है। यहां हर दिन हजारों लोग पहुंचते हैं। इसके अलावा एक करोड़ लोगों के करुणानिधि का प्रशंसक होने का दावा किया गया है। ऐसे में यह जनभावना से जुड़ा मुद्दा भी है।
अब बात करते हैं राजाजी हॉल की, राजाजी हॉल वह जगह है जो तमिलनाडु के कई दिग्गज नेताओं के अंतिम यात्रा का पहला पड़ाव रहा। राजनीतिक रूप से यह एक अहम स्थान है। आपको बता दें कि जयललिता के निधन के बाद अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को भी इसी राजाजी हॉल में रखा गया था। जयललिता से पहले एआईडीएमके के मुखिया और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे एमजीआर के शव को भी इसी राजाजी हॉल में आम लोगों के दर्शन के लिए रखा गया था।
इस दौरान की एक खबर राजनीतिक गलियारों में आज भी चर्चा में रहती है कि उस दौरान उनके शव का दर्शन जयललिता को नही करने दिया गया था। खैर यह किस्सा फिर कभी लेकिन ऊपर लिखे बातों से उम्मीद है राजाजी हॉल और मरीन बीच की तमिलनाडु में अहमियत का अंदाज़ा सहजता से लगाया जा सकता है। कुछ बड़े अपवाद भी हैं जब सरकार की वजह या किसी न किसी बाध्यता से मरीन बीच पर अंतिम संस्कार नही किया जा सका। इनमे जानकी रामचंद्रन का एक मामला भी है।