उत्तरप्रदेश में उपचुनाव के बाद से राजनीतिक सरगर्मियां लगातार बढ़ी हुई हैं। यूपी की योगी सरकार अपने एक साल पूरे कर चुकी है। इस अवसर पर मिली इस हार को कहीं योगी की विफलता बताया जा रहा है तो कहीं इस गठबंधन की जीत बताया जा रहा है। कांग्रेस और राहुल बीजेपी की हार से ही खुश हैं। यहां ऐसा इसलिए है क्योंकि कांग्रेस गोरखपुर और फूलपुर में अपनी जमानत तक नही बचा सकी। गोरखपुर में कांग्रेस की ऐसी हालत 7 वीं बार हुई है। खैर अब बात करते हैं कि क्या योगी और बीजेपी को यूपी में एक और हार झेलनी पड़ेगी?
आइये अब आपको बताएं कि हम किस चुनाव और कैसी हार जीत की बात कर रहे हैं। पार्टी जब विधानसभा में शानदार प्रदर्शन का सत्ता में आई तो उसके साथ कई छोटे बड़े दल जुड़े लेकिन अब यही दल बीजेपी के लिए सरदर्द बन रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि आने वाले समय मे यूपी में राज्यसभा चुनाव होने हैं। जिसमे संख्या बल के आधार पर बीजेपी अपने 8 सदस्यों को आराम से एंट्री दिला सकती है। असली पेंच फंसेगा 9 वीं सीट पर। यहां बीजेपी को समर्थन की जरूरत होगी और ऐसे में राज्य सरकार पर हमलावर मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर बड़ा रोल निभाएंगे।
हालांकि हाल के दिनों में उनका जो रुख रहा है उसको देखते हुए यही कहा जा सकता है कि वह शायद ही मानें और बीजेपी को अपना समर्थन दें। खैर अमित शाह के बुलावे पर वह दिल्ली पहुंचे हैं, और उम्मीद है सब ठीक होगा। लेकिन अगर ऐसा नही हुआ तो बीजेपी को एक सीट पर मौंका गंवाना पड़ सकता है।