राजस्थान के रण में अब सचिन पायलट का पलड़ा भारी दिखने लगा है। अभी दो दिन पहले तक कांग्रेस और गहलोत से आर-पार के मूड में दिख रहे सचिन अब राजस्थान लौट चुके हैं। वह यूँ ही नही लौटे अपने साथ राहुल-प्रियंका-सोनिया का साथ लेकर लौटे हैं। ऐसे में राजस्थान के ‘जादूगर’ अशोक गहलोत को लेकर चर्चाओं का दौर फिर शुरू हो गया है।
सचिन पायलट के ‘सब ठीक है’ कहने के बाद राजस्थान वापसी से ही यह संकेत मिलने लगे थे कि अंदरखाने कुछ तो ऐसा हुआ जिससे बागी बने पायलट फिर कांग्रेस के विमान में बैठने को तैयार हुए। क्या हुआ कितना ठोस भरोसा मिला और क्या राहुल गांधी की पायलट से दोस्ती अशोक गहलोत के अनुभव और सोनिया की पसंद पर भारी पड़ गई?
5 साल तक सरकार चलेगी। सरकार बहुमत में पहले थी, आज भी है, कल भी रहेगी।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) August 11, 2020
:Talked to media in Jaipur today pic.twitter.com/UOLSNXVtRL
दरअसल इन चर्चाओं के पीछे खुद सीएम गहलोत का वह बयान है जिसने इस बात को बल दिया कि अब गहलोत शायद ही राजस्थान की सत्ता के सुल्तान रहेंगे। हुआ यूं कि आज प्रेस वार्ता में पत्रकार ने पूछा कि क्या आप पांच साल सरकार चलाएंगे? इस सवाल के जवाब में गहलोत ने कहा कि ‘कांग्रेस’ पांच साल सरकार चलाएगी और मैं जब तक जिंदा रहूंगा अभिभावक बन कर रहूंगा।
गहलोत का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब एक महीने से ज्यादा वक्त के बाद सचिन पायलट आज राजस्थान लौटे हैं। बस यहीं से चर्चा शुरू हुई कि आखिर गहलोत खुद को ‘अभिभावक’ क्यों कहा रहे और अशोक गहलोत की सरकार की जगह कांग्रेस शब्द का प्रयोग भी राजस्थान की राजनीति में एक नया इशारा करता दिखाई दे रहा है। आने वाले कुछ दिनों में तस्वीर ज्यादा साफ हो पाएगी।