काश मलेशिया की तरह एक कानून यहां भी पास हो जाए, आधे फसाद ऐसे ही खत्म हो जाएं

मलेशिया यूँ तो एक छोटा सा देश है और गाहे-बगाहे किसी न किसी वजह से चर्चा में बना रहता है। हाल के दिनों में यह देश आपातकाल लगाने की वजह से चर्चा में था। इस पर काफी विवाद भी हुआ था लेकिन आज जो मलेशिया ने किया है वह वाकई काबिले तारीफ है।

अच्छे कामों की प्रशंसा हमेशा की जानी चाहिए। ऐसा मेरा मानना है। हालांकि कुछ दिनों पहले कानून व्यवस्था को लेकर एक ख़बर में पाकिस्तान की तारीफ करने पर जो कुछ सुनने को मिला उसके बाद यह खबर लिखें या न लिखें मन इसी ऊहापोह में था। लेकिन अंततः पत्रकारिता धर्म को निभाते हुए लिख रहा हूँ। यह खबर भी मीडिया से जुड़ी है इसलिए इस पर चर्चा जरूरी है।

दरअसल मलेशिया ने एक कानून बनाया है। इस कानून के मुताबिक अगर वहां कोई पत्रकार या अखबार कोई गलत खबर या फेक न्यूज़ छापता है तो उसे छह साल की सजा दी जाएगी। इसके अलावा करीब 84 लांख रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा। मीडिया पर सेंसरशिप को लेकर अक्सर बात होती है। मीडिया को स्वतंत्र होना भी चाहिए लेकिन जब किसी भी जगह स्वतंत्रता का नाजायज इस्तेमाल हो तो उसे रोकने के लिए कानूनी प्रावधान कड़े होने चाहिए।एक ऐसा कानून भारत मे बनाने के हम पक्षधर हैं। हालांकि मलेशिया के अंदर ही इस कानून का विरोध होने लगा है।

ऐसा इसलिए  है क्योंकि हाल के दिनों में जिस तरह खबरों को लेकर मीडिया का स्तर गिरा है वह वाकई चिंताजनक है। आज मीडिया को बिकाऊ और न जाने क्या क्या कहा जाने लगा है। ऐसे में इसे दुरुस्त करना जरूरी है। हालांकि लोकतंत्र वाले इस देश मे यह मुश्किल सा है लेकिन इसके बावजूद जिस तरह देश मे फैली हिंसा के माहौल से लेकर खबरों को सेंसेशनल बनाने का दौर चला है। उसे रोकने के लिए कदम उठाने आवश्यक हैं।

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