पिछले तीन चार साल से हर 31 दिसंबर के दिन पूरे साल का वृतांत लिखने की आदत सी हो गई है। समय का अभाव भी होता है लेकिन फिर यह करने को मन करता है। थोड़ा मुश्किल भी है कि एक पूरे साल के 365 दिनों के अनुभव को कुछ लाइनों में कुछ यादों में कैसे जगह दें। ऐसा नही है कि पन्नें सीमित है लेकिन हां यादें सीमित होती है। कई ऐसी जो इतनी अच्छी थी या बुरी थी शायद हमें बस वही याद रहती है। बाकी ठीक-ठीक या साधारण सी चीजें तो क्या ही याद रहेंगी। खैर प्रोफेशनल लाइफ में जूझते इस साल 5 साल से ज्यादा हो गए। यानि निजी जिंदगी की आज़ादी को गए भी इतना वक़्त हो गया यह लिखा जा सकता है। कभी कभी कुछ खास दिनों, मौकों और लोगों को इग्नोर कर दें तो सच बताऊं इन पांच सालों में ऐसा मौका अब तक नही आया जब बहुत ऊबन सी महसूस हुई। कभी ऐसा नही लगा कि अब कुछ और कहीं और लेकिन हां 2020 में कुछ नयापन आएगा।
यह साल भी बाकी वर्षों की तरह यादें समेटे अपने अंतिम क्षण की ओर अग्रसर है। हर तरफ कैलेंडर बदलने की खुशी मनाई जा रही है। हालांकि निजी तौर पर मेरा मानना है कि जैसे हर दिन के बाद शाम और शाम के बाद एक नई सुबह आती है यह महज वैसा ही है। हालांकि चलन और प्रथा मनाने से ही बढ़ती है तो यही सही है। बात 2019 की करें तो यह साल बहुत कुछ सीखने-सिखाने का मौका दे गया। जिम्मेदारियां बढ़ी और अब तक उन्हें मैंने निजी और कार्य स्थान पर ठीक-ठीक निभाया, (ऐसा मेरा मानना है), बाकी विरोध और समर्थन पर किसका वश चला है। यह साल काफी नए लोगों से मिलाने वाला रहा। अलग-अलग मंच स्थिति को समझने वाला रहा। राजनीतिक उथलपुथल के बीच अलग-अलग नेताओं से मिलने का मौका मिला। यह भी एक उपलब्धि रही। कई प्रस्तावों, लुभावने वादों के बीच हर तरफ से अस्थिर करने के प्रयासों के बीच खुद को स्थिर और दृढ़ रखना भी एक बड़ी चुनौती है। बहुत हद तक कह सकता हूँ मैं इसमे कामयाब रहा।
बात निजी जिंदगी के अनुभवों की करें तो अब दोस्ती जैसा कुछ रह नही गया। अब या तो सीनियर होते हैं, बॉस होते हैं या जूनियर। दोस्त पीछे छूट गए। कुछ जिम्मेदारियों के चक्कर मे, कुछ समय, सोच और अलग धारणा और मनमुटाव की वजह से, खैर शायद यही रीत है। परिवार से 10 साल बीत गए दूर रहते। 2009 का वह साल था जब से मैं बाहर हूँ। साल दर साल बिताते गए और इस बीते वक़्त ने शायद यह बात मन मे पक्की कर दी कि अब चाहो, सोचो या रो लो रहना वहां, जाना वहां थोड़ा मुश्किल है। साल में 2- 3 बार 10 दिन बिताने का मौका मिलता है। फोन ने इसे आसान बनाया है, यह राहत है। एक और उपलब्धि जो इस साल मैं कह सकता हूँ वह यह रही कि खाने खिलाने और बनाने में हम आगे बढ़े। बाहर से कम खाया और यही वजह रही कि बीमारियों से दूर भी रहे। सालों बाद दुर्गापूजा घर पर मना आये और दीपावली छठ पर दिल्ली में मुश्किल सा वक़्त गुजरा।
व्हाट्सएप्प, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर तथाकथित दोस्त बढ़ते गए और निजी जिंदगी से दूर होते गए। कई खबरों, किताबों, कविताओं और मुद्दों ने इस साल अच्छा खासा समय खराब किया। यहां समय खराब इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि उन मुद्दों पर हमारी राय न अहम है न निजी तौर पर मैं इससे प्रभवित हो पाऊंगा। किताबें अगले साल की भी प्राथमिकता होंगी। कुछ और ज्यादा पढ़ना होगा, थोड़ा लिखना होगा। बोलना होगा और उससे ज्यादा सुनना होगा, बस यही प्रयास करुंगा। 2011 से लेकर अब तक एक बात और मैंने अपने अंदर सुधारी है। जो लोग काफी पहले से जानते हैं वह सहमत भी होंगे कि अब पहले की तरह बात-बेबात मैं गुस्सा नही करता, हंसने हंसाने में भरोसा रखता हूँ लेकिन इंसान हूँ तो यह पूरी तरह दूर हो गया यह संभव भी नही और हो भी नही सकता है।
काम की बात करूं तो अपने करियर में एक कदम कम से कम आगे बढ़ा। मुझे इसका बहुत फायदा भी मिला। न जाने आगे यह कितना काम आएगा लेकिन यह पक्का है सीखा बहुत कुछ इस साल। आगे भी सीखने का यह उत्सव अनवरत जारी रहेगा। कहाँ और कैसे यह आने वाले साल के बदलते दिन और महीने तय करेंगे। उम्मीद है संक्षेप में यह वृतांत मुझे 2019 को याद रखने में मेरी मदद करेगा। आज किसी पर कोई नकारात्मक टिप्पणी नही, साल सकारात्मक बीता और आने वाले साल के लिए बस यही आरजू है, यही विनती है। जिन्होंने आगे बढ़ने में सहयोग दिया उनका आभार, जिन्होंने बढ़ने से रोकने की कोशिश की उनका भी आभार, उनके वजह से कुछ परेशानी तो हुई लेकिन इरादे दृढ़ होते गए। रास्ते मे विघ्न आते रहेंगे हम यूं ही बढ़ते रहेंगे। इठलाते रहेंगे, इतराते रहेंगे चिंता न करो तुम्हारे लिए रास्ते यूं ही हम बनाते रहेंगे। हर दिन एक नया चैलेंज अच्छा लगता है लेकिन जब अच्छी चीजों को करने के प्रयास में नकारात्मक प्रतिक्रिया आती है तो सब व्यर्थ लगता है। यह साल बहुत हद तक ऐसा ही अनुभव वाला रहा। हालांकि यकीन मानिए कार्यक्षेत्र में भरोसा और उम्मीद के साथ जो सपोर्ट मुझे मेरे सीनियर्स और बॉस से मिला वह अतुलनीय है। हालांकि अगले कुछ दिनों, महीनों में एक नई मंजिल होगी, एक नया सफर पहले होगा और उम्मीद है यह मन रूपी यात्री यूं ही अनवरत यात्रा पर चलता रहेगा और सभी को चकित करता रहेगा। बाकी नए साल पर क्या उम्मीद, भरोसा, सोच, समझ है पढ़िए—
उम्मीदों के आसमान को, समुद्र जैसी सोच की गहराई को जीते रहेंगे।
बिना किसी अभिमान, अहंकार के आगे बढ़ते रहेंगे।
बेशक नाकामी आए हमारे हिस्से लेकिन सीढ़ी-दर-सीढ़ी हम चढ़ते रहेंगे।
तुम गिराने में लगे रहना, हम चढ़ने की कोशिश में लगे रहेंगे।
तुम हमारे भरोसे जले बैठे रहना, हम खुद जल कर भी हर आग बुझाते दिखेंगे।
संवरते दिखेंगे, संवारते दिखेंगे, तुम्हारी बुजदिली, बकलोली पर हंसते दिखेंगे।
मैं और मेरी उम्मीदों के मीनार बुर्ज खलीफा में तब्दील होते दिखेंगे।
तुम बेशक आज़मा लेना हर फार्मूला फिर भी मैथ की तरह कठिन होकर हम नतीजों में तब्दील दिखेंगे।
केमिस्ट्री के फॉर्मूला की तरह बैलेंस दिखेंगे।
भ्रम में जी लेना लेकिन फिजिक्स में भी हम हिट साबित होंगे।
संस्कृत और संस्कृति का पालन करेंगे।हर धर्म-मजहब-जाति का सम्मान करते दिखेंगे।
सब का सम्मान करते दिखेंगे।सब को खुश नही रख सकते फिर भी कोशिश करते दिखेंगे।
मेरी उम्मीदों के मीनार और बड़े बनेंगे, मेरे सपनों के कद्रदान और बहुत होंगे।
इस साल जो कम रहा, जो पूरा न हुआ वह आज नही तो कल कर लेंगे।
हौसलों में दम है, मेहनत पर भरोसा है तो यह प्रण है हम आगे ही बढ़ेंगे।
बैशाखी नही चाहिए सहारे को, यह कर दिखाएंगे।सब की सोच से भी कहीं आगे बढ़ दिखाएंगे।
2020 में बस यही दोहराना है, यह कर दिखाएंगे।
2019 साल बेहतरीन था बहुत कुछ बांकी था लेकिन यह वादा रहा, जो बाकी है वह हासिल कर दिखाएंगे।वह पा कर दिखाएंगे।।
आप सभी को 2019 के सफल और मिलेजुले अनुभवों के लिए बधाई, आभार और शुभकामनाएं और 2020 के लिए हार्दिक बधाई, स्नेह, प्यार, आभार और शुभकामनाएं। नव वर्ष मंगलमय हो।