बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच दल और इसके नेता अब एक्टिव नजर आने लगे हैं। यूँ तो यह माना जा रहा है कि सत्ता की मुख्य लड़ाई राजद की अगुवाई वाली महागठबंधन और नीतीश कुमार की अगुवाई वाली महागठबंधन के बीच ही होगी। हालांकि इससे इनकार नही किया जा सकता कि कई छोटे दलों की मौजूदगी इस खेल को खराब करने का माद्दा रखती है।
कई ऐसे छोटे दल इस बार बिहार के चुनावी दंगल में उतरने को और दम्भ भरने को तैयार हैं जो कुछ सीटों पर तो सत्ताधारी और मुख्य विपक्षी दल का खेल खराब कर सकते हैं। मुख्य तौर पर कुछ दलों की बात करें तो पुष्पम प्रिया चौधरी की अगुवाई वाला पलूरल्स, पप्पू यादव की अगुवाई वाली जन अधिकार पार्टी के साथ आम आदमी पार्टी और ओवैसी की अगुआई में उनकी पार्टी भी कई सीटों पर खेल खराब करने को तैयार है।
पप्पू यादव और ओवैसी जहां पूरे सीमांचल में सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती पेश करेंगे वहीं आम आदमी पार्टी और पलूरल्स पूरे बिहार में सत्ता और विपक्षी दलों के साथ दो- दो हाथ करते नजर आएंगे। बेशक नीतीश अभी तक रेस में सबसे आगे हैं और एनडीए से विपक्ष पिछड़ता दिख रहा है लेकिन यह तय है कि इस चुनाव में न मुख्य विपक्षी दल न सत्ताधारी पक्ष की राह आसान होगी। सत्ता विरोधी लहर से भी इंकार नही किया जा सकता है।