उरी के आतंक।

जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में आतंकवादियों के कायराना हमले में सेना के 18 जवान शहीद हो गए,और कई जवान गंभीर रूप से जख्मी हुए थे।यह हमला जवानों पर तब किया गया जब वो सो रहे थे और ड्यूटी की शिफ्ट बदलनी थी।यह आम जानकारी है जो अभी तक छन कर बाहर आ रही है।

18 जवानों की शहादत को लेकर पूरा देश उबाल में है,लोगों में पाकिस्तान के खिलाफ बहुत गुस्सा है,और सरकार पर यह अलग अलग माध्यमों के द्वारा निकाला जा रहा है।सोशल मीडिया से लेकर,चाय की चौपाल तक,कन्याकुमारी से कश्मीर तक सब यही पूछना और जानना चाहते हैं कि आखिर कब तक?इस ब्लॉग को लिखते हुए मुझे कवी हरिओम पवार की कविता की एक लाइन याद आ रही है,”परमाणु शक्ति होकर भी हम लाहौर गए बस में।हमने दोस्ती यारी की कभी नहीं तोड़ी कसमें।”यह या तो हमारी मज़बूरी का फायदा है या अपने नापाक इरादों का संस्कार जो पाकिस्तान अपनी हद भूल जाता है।लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए की जितना हमारे अंदर सहनशीलता है उससे ज्यादा शौर्य है,पराक्रम है।दुनिया और विदेश नीति को छोडो जिस दिन भारत ने ठान लिया उस दिन दुनिया के किसी देश में हिम्मत नहीं की वो सवा सौ करोड़ भारतीयों को पाकिस्तान जैसे तुच्छ देश को मिटाने से रोक लेगी।

भारतीय सेना हथियारों से ज्यादा अपने जोश,जज्बे और जूनून से लड़ती है,वरना देश की गन्दी राजनीती ने तो हमें पंगु कर कर ही रखा है।हर बार हमला होता है,हम पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने की भीख मांगने निकल पड़ते हैं और नतीजा सिफर होता है।सरकारें हाई लेवल मीटिंग,दौरा,जांच,कमेटी से आगे नहीं बढ़ पातीं और जब जांच रिपोर्ट आती है तो उसमें होता है सुरक्षा में,निगरानी में चूक की वजह से हमला हुआ,और आगे से न हो इसके लिए निगरानी रखो।कुल मिलाकर नतीजे ढाक की तीन पात से ज्यादा नहीं निकलते।

कब बढ़ेंगे आगे?कब तय होगी जिम्मेदारी?कब होगी कड़ी करवाई?कौन से वक़्त का है इंतजार?और कितने जवानों की बलि चाहिए?क्यों नहीं हम खुद को इज़राइल रूस जापान और अमेरिका जैसे बदला लेने की छमता विकसित करें?उरी हमले के बाद सेना को क्या आदेश मिले और सरकार क्या करेगी यह तो वक़्त बतायेगा लेकिन हम अपने जांबाजों को खो कर खुश नहीं रह सकते इसलिए या तो करवाई हो या नहीं तो गुमराह करना छोड़ कर पाकिस्तान जैसे नापाक देश की हरकतों के आदि बने रहें।फैसला हमारा है,सरकार को जनता का समर्थन भी है,माकूल वक़्त भी अभी नहीं तो कभी नही!इसलिए देश की जनता ने बहुमत हाई लेवल मीटिंग के लिए और जवानों की शहादत के लिए नहीं दिया प्रधानमंत्री जी बहुत अपेक्षाएं हैं इस देश को आपसे और आपकी सरकार से कृपया जन भावना का सम्मान करें और इन आडंबरों से बाहर निकल कुछ ठोश और उचित करवाई करें।देश आपके साथ है।

विजय राय

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