फ्रांस की पत्रिका शार्ली आब्दो ने फिर छापा पैगम्बर मोहम्मद का विवादित कार्टून, राष्ट्रपति बोले- प्रेस की आज़ादी…

फ्रांस की व्यंगात्मक साप्ताहिक पत्रिका शार्ली आब्दो पैगंबर मोहम्मद का विवादित कार्टून फिर छाप रही है। इस पत्रिका ने 2006 में भी मोहम्मद साहब का विवादित कार्टून प्रकाशित किया था, जिसके बाद 2015 में इस्लामी आतंकियों ने उसके दफ्तर पर हमला किया था। इस मामले में बुधवार से सुनवाई शुरू हो रही है। इसी को देखते हुए पत्रिका ने कार्टून को फिर से छापने का फैसला किया। इन कार्टूनों में पैगम्बर मोहम्मद का वह विवादित कार्टून भी शामिल है जिसके वजह से यह पत्रिका और फ्रांस के शहर आतंकियों के निशाने पर आ गए थे।


आपको बता दें कि पहली बार यह विवादित कार्टून डेनमार्क के एक अखबार में 2005 में छापा गया था। उसके बाद 2006 में शार्ली आब्दो ने इसे छापा था। दोनो बार इसका छपना काफी विवादों में घिरा था। इस बार दर्जन भर से अधिक कार्टून प्रकाशित करते हुए इस पत्रिका ने पैगम्बर मोहम्मद के विवादित कार्टून को जगह दी और कैप्शन में लिखा है कि- यह सब बस एक कार्टून के लिए? पत्रिका के संपादक लौरेंट ‘रिस’ सौरीस्यू ने एक नोट में कहा है, ‘इतिहास को न तो दोबारा लिखा जा सकता और न ही मिटाया जा सकता।


मोहम्मद साहब का कार्टून प्रकाशित करने पर 7 जनवरी 2015 को शार्ली आब्दो के पेरिस के दफ्तर पर तीन आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग करते हुए 12 लोगों को मार डाला था। मरने वालों में इस कार्टून बनाने वाले कार्टूनिस्ट जीन काबूट भी शामिल थे। अब इसे दोबारा इसलिए प्रकाशित किया जा रहा ताकि पत्रिका इन हमलावरों पर शुरू होने जा रही कार्रवाई के लिए जन समर्थन प्राप्त कर सके।

वहीं, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने मंगलवार को कहा कि व्यंग्य पत्रिका में कार्टून फिर से प्रकाशित करने के फैसले पर वह किसी भी तरह का कॉमेंट नहीं करेंगे। मैक्रों ने कहा कि फ्रांस में हमेशा से अभिव्यक्ति की आजादी रही है।उन्होंने कहा, किसी पत्रकार या न्यूजरूम की संपादकीय पसंद को लेकर किसी तरह की प्रतिक्रिया देना राष्ट्रपति के लिए उचित नहीं है।कभी नहीं।क्योंकि हमारे यहां प्रेस की स्वतंत्रता सबसे ऊपर है। हालांकि, उन्होंने कहा कि फ्रांसीसी नागरिक एक-दूसरे के प्रति सम्मान दिखाएं और नफरत फैलाने वाले संवाद से बचें।

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