भारत के राजनीतिक इतिहास में जब भी नेताओं का जिक्र होगा। सरदार पटेल का नाम सबसे पहले और सबसे ज्यादा इज़्ज़त और अदब से लिया जाएगा। भारत के एकीकरण के अलावा भी राजनीति में उनके योगदान को सराहा जाता रहा है। आज हर दल और नेता के मन मे उनके प्रति आदर है। पटेल एक उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति थे। पेशे से बैरिस्टर थे। हालांकि उनका पूरा जीवन सादगी की मिसाल था। वह खुद कहा भी करते थे कि मैंने आर्ट या साइंस में कोई महारत हासिल नही की है, मेरा विकास गरीब किसानों की झोपड़ियों और शहरों के गंदे मकानों में हुआ है। पटेल को लेकर एक खास बात यह भी रही कि वह आजीवन अपनी बात पर दृढ़ रहे और विरोध, समर्थन खुल कर किया।

आज देश के लिए सबसे बड़ी समस्या बने कश्मीर को सरदार उसी वक़्त ही सुलझाने के मूड में थे। कहा जाता है कि जब रियासतों को एक करने की बारी आई तो लगभग सभी रियासतें तैयार हो गईं। तीन राजा और निजाम तैयार नही हुए, इनमे जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू कश्मीर शामिल थे। पटेल ने सख्ती दिखाई। जूनागढ़ के निजाम पाकिस्तान भाग खड़े हुए। हैदराबाद में उन्होंने सेना भेज वहां के निजाम से आत्मसमर्पण करा लिया। अंतिम वह जम्मू और कश्मीर को मिलाने की तैयारी में थे। इसी बीच नेहरू ने इसे अंतरराष्ट्रीय समस्या बताते हुए उन्हें रोक दिया और आज यह घाव नासूर बन गया है। इसलिए कहते हैं सरदार हर कोई नही बन सकता है। उनकी राजनीतिक यात्रा का यह एक सबसे प्रचलित उदाहरण है बाकी यात्रा तो एक ऐसा इतिहास है जिसे जितना पढ़ा जाएगा और समझा जाएगा वह उतना ही विस्तृत होगा।