लॉकडाउन और लूटपाट की बढ़ती घटनाओं के बीच भाषण की गोली साबित हुई निक्कमी, सही साबित हुआ नीतीश का डर

बिहार में प्रवासी मजदूरों के लौटने औए बेरोजगारी की व्यथा के बीच आज से चंद दिनों पहले सरकारी महकमे में एक खबर वायरल हुई थी। इस खबर में कहा गया था कि बड़े पैमाने पर प्रवासी नागरिकों के लौटने से कानून व्यवस्था को बनाये रखना एक बड़ी चुनौती सब्जत होगी। हालांकि बाद में इस खबर अपर मचे हंगामे ने इसे शांत करने के प्रयास किए।


हालांकि अब न सिर्फ बिहार बल्कि अलग-अलग कइ राज्यों में बढ़ी हिंसा ने इस बात के स्पष्ट संकेत दिए हैं कि इन घटनाओं के पीछे बिगड़ी हुई आर्थिक स्थिति, निकम्मापन और बेरोजगारी है। बिहार के एक छोटे से जिले बाँका का उदाहरण लेते हैं। यहां हाल के दिनों में पैसों की लूट की कई घटनाएं हुई हैं। बौंसी के कैरी गांव में गुरुवार को 2 लाख 80 हजार रुपये लूट लिए गाएं इसके अलावा बेरोजगारी की वजह से आगमहत्या और लूट की घटनाओं सहित आपराधिक घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिली है।


बात सिर्फ बिहार तक सीमित नही है यूपी के प्रयागराज की बात करें तो छिनतई की घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं पुलिस की अपराधियों से संलिप्तता की खबरें भी वहां से आम है। सूत्रों की मानें तो लॉकडाउन और कोरोना की वजह से उपजे आर्थिक संकट ने न सिर्फ आपराधिक घटनाओं को बढ़ावा दिया है बल्कि आने वाले दिनों में स्थिति और विकट हो सकती है।

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