बिहार में चुनावी सुगबुगाहट के बीच राजनीतिक उथल-पुथल तेज हो गई है। पाला बदलने के साथ तीखी बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी पूरे उफान पर है। जहां नेता अपनी सीट और राजनीतिक भविष्य की चिंता करते हुए पाला बदलने में लगे हैं वहीं दल भी इस भागमभाग से अनजान नही हैं और डैमेज कंट्रोल के लिए प्लान बी की रणनीति के साथ भी तैयार हैं। पाला बदलने का खेल जदयू नेता और नीतीश सरकार में मंत्री रहे श्याम रजक से शुरू हुआ, वह जदयू छोड़ राजद में शामिल हुए। इसके बाद लालू के समधी चंद्रिका राय राजद छोड़ जदयू में शामिल हो गए।
यह सिलसिला अभी फिलहाल थमता नजर नही आ रहा है।राजनीतिक गलियारों में जारी चर्चा की मानें तो लालू के करीबी और राजद के उपाध्यक्ष रहे रघुवंश प्रसाद सिंह राजद के दामन छोड़ सकते हैं। उनके जदयू में शामिल होने की अटकलों को लेकर भी माहौल गर्म है। यह चर्चा इसलिए तेज हो गई क्योंकि तेजस्वी दिल्ली में रघुवंश प्रसाद सिंह को मनाने पहुंचे और कहा जा रहा कि वह इसमें सफल नही हो सके। इससे पहले लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप ने रघुवंश प्रसाद सिंह के बारे में बोलते हुए कहा था कि समुद्र से एक लोटा पानी निकल जाए तो कोई फर्क नही पड़ता है।
आपको बता दें कि बाहुबली रमा सिंह के राजद में शामिल होने की अटकलों के बाद रघुवंश प्रसाद सिंह नाराज हो गए थे और उन्होंने अपना इस्तीफा लालू यादव को भेज दिया था। उस समय वह कोरोना से संक्रमित थे। अब भी रघुवंश प्रसाद सिंह दिल्ली एम्स में हैं और वहां से निकलने के बाद वह बड़ा राजनीतिक फैसला ले सकते हैं। रमा सिंह के अलावा 2019 चुनाव हारने के बाद से राजनीतिक हाशिये पर चल रहे रघुवंश प्रसाद को राजद की तरफ से राज्यसभा भेजे जाने की उम्मीद थी लेकिन लालू यादव ने उन्हें न भेजकर अमरेंद्र धारी सिंह और प्रेमचंद गुप्ता को भेज दिया। इससे भी वह नाराज बताए जाते हैं।
इस तमाम खबरों के बीच राजद की राह लालू की अनुपस्थिति में बिहार चुनाव में मुश्किल हो सकती है। तेजप्रताप के विवादित बयान और तेजस्वी की पार्टी पर पकड़ भी राजद को नुकसान पहुंचा सकते हैं। माँझी पहले ही महागठबंधन के साथ छोड़ चुके हैं वहीं कांग्रेस भी ज्यादा सीटों की मांग को लेकर राजद पर हावी है। ऐसे में देखना है कि इन विवादों का राजद पर क्या असर होता है।