भारतीय सेना के साहस और पराक्रम पर कोई संदेह नही है। वह तो राजनीति का कुचक्र है जिसने समय समय पर सेना को रोका है या उसकी सफलता पर संदेह जताया और बाधा बनी है। इसकी एक बानगी पिछले हफ्ते से लेकर अब तक देखने को मिली जब सेना ने आतंकियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करते हुए पिछले गुरूवार से लेकर अब तक दर्जन भर से ज्यादा आतंकियों को अलग-अलग एनकाउंटर में मार गिराया। हालांकि हर बार की तरह इस बार फिर राजनीति इसके आड़े आ गई। अब सवाल यह उठा कि आतंकियों को एनकाउंटर के बाद रस्सी के सहारे घसीटा क्यों जाता है?
इसका जवाब है यह सेना की रणनीति का हिस्सा है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि कई बार आतंकी अपने शरीर पर विस्फोटक बांध कर आते हैं। एनकाउंटर के बाद शव को उठाते वक़्त यह विस्फोटक फट सकते हैं और काफी नुकसान सेना को उठाना पड़ता है। यही वजह है कि लंबी रस्सी का सहारा लाश को उठाने के लिए लिया जाता है या बॉडी को काफी देर के लिए ऐसे ही छोड़ दिया जाता है। अब सवाल है इसमें कुछ भी नया नही है और सालों से ऐसा होता रहा है तो अब अचानक नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस जैसे दल इस पर सवाल क्यों उठाने लगे?
सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि घाटी में राजनीतिक उठापटक कम हुई,राज्यपाल शासन लगा तो इसका बड़ा असर दिखने भी लगा है। घाटी में शांति लौटी है और दर्जनों दुर्दांत आतंकी मारे गए हैं। ऐसे में यह समझना मुश्किल नही की सेना की राह में राजनीति बड़ी बाधा है। अब हाल के दिनों की बात करें तो पांच आतंकियों को कुलगाम में, तीन आतंकियों को ककरियाल इलाके सहित सात अन्य आतंकियों को अलग अलग इलाकों में सेना ने मार गिराया। खास बात यह रही कि इस दौरान सेना को कोई बड़ा नुकसान नही उठाना पड़ा न ही सख्त रुख की वजह से विरोध का सामना करना पड़ा। ऐसे में यह माना जा सकता है कि ऐसी ही छूट मिली तो घाटी में शांति बनी रहेगी।