राज्यसभा चुनाव से पहले आप मे अंदरूनी कलह खुल कर बाहर आ गई है। यूँ तो आप मे ऐसी कलह कोई नई बात नही है लेकिन इस बार कुर्सी की इस लड़ाई में प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर साफ गुटों का बंटवारा देखा जा रहा है। आप मे इससे पहले भी विवादों का लंबा दौर देखने को मिला है लेकिन पिछले कुछ समय से लगातार आप मे केजरीवाल और कुमार विश्वास के बीच खींचतान और बयानबाजी देखने को मिलती रही है। कई ऐसे मौके आये हैं जब बिना नाम लिए विश्वास ने केजरीवाल के प्रति अपना अविश्वास प्रकट किया है।
आपको बता दें कि दिल्ली में 67 सीटों वाली आप के खाते में तीन राज्यसभा सीटें हैं। इन सीटों पर 2018 के शुरुआत में चुनाव होने हैं। यह सारी खींचतान और विवाद इन्ही सीटों को लेकर है। दरअसल पार्टी की स्थापना से पहले अन्ना आंदोलन के दौरान से केजरीवाल के साथी रहे कुंअर विश्वास राज्यसभा में जाना चाहते हैं लेकिन आम आदमी पार्टी के अंदर उनके नाम पर चर्चा तक नही है और पार्टी अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है।

इन तीन सीटों के लिए आप के अंदर कई प्रबल दावेदार हैं। कई नाम सामने भी आ रहे हैं हालांकि आप की तरफ से खुल कर कोई भी नाम सामने नही आया है। पहके यह चर्चा गर्म थी कि आप की तरफ से रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को राज्यसभा में एंट्री दी जा सकती है साथ ही अगर राजन पर खेला गया दावं सफल रहा तो पार्टी के अलावा ऐसे ही किसी अन्य व्यक्ति को तरजीह दी जा सकती है लेकिन राजन के ना से सारा खेल बिगड़ गया और अंदरूनी कलह सतह पर आ गई।
अब आपको बताते हैं कि कुमार पर आप को और आप को कुमार को लेकर इतना अविश्वास क्यों है। वजह अब तक जो सामने आई है उसके मुताबिक पार्टी चाहती है कि कुमार विश्वास राजस्थान विधानसभा चुनाव तक संगठन की जिम्मेदारी संभालें, इसके अलावा पार्टी उन्हें लोकसभा उपचुनाव में भी प्रत्याशी बनाने पर विचार कर रही थी लेकिन पार्टी का यह प्रस्ताव कुमार को रास नही आया। दूसरी तरफ कुमार ने पार्टी के लिए किए संघर्षों के हवाला देते हुए यह मांग की कि उन्हें राज्यसभा भेजा जाना चाहिए।
इसके अलावा कुमार एक बार पार्टी के कहने पर अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव में शिकस्त खा चुके हैं और तीसरी सबसे बड़ी वजह यह है कि राजस्थान में पार्टी का जनाधार इतना भी मज़बूत नही कि कुमार वहां से जीत जाएं यह डर भी है।
खैर आप की खींचातानी के बीच जहां पार्टी कुमार के रवैये पर विचार कर रही है वहीं आज कुमार के समर्थकों ने पार्टी आफिस के बाहर धरना दे दिया और कुमार को राज्यसभा भेजने की मांग कर रहे थे। इसके बाद कुमार ने ट्वीट कर खुद कहा कि मैं कहता आया हूँ कि पहले देश, फिर दल, फिर व्यक्ति, इसलिए सभी कार्यकर्ताओं से निवेदन है कि स्वराज, बैक2 बेसिक, पारदर्शिता के लिए संघर्ष करें। मेरे हित या अहित के लिए नही। उन्होंने यह भी लिखा कि स्मरण रखिए अभिमन्यु के वध में भी उसकी विजय है।
अब देखना यह है कि यह कलह कहाँ और कब किस मोड़ पर जाकर खत्म होता है लेकिन इतना तो तय है कि आप और कुमार दोनों में से किसी के लिए भी बीच की राह निकालना फिलहाल बड़ी चुनौती है।