भारत और नाइजीरिया के बीच शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बाहरी अंतरिक्ष की खोज और इसके उपयोग में सहयोग पर हुए समझौता ज्ञापन को मिली मंजूरी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बाहरी अंतरिक्ष की खोज और इसके उपयोग में सहयोग पर भारत और नाइजीरिया के बीच हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अवगत कराया गया। एमओयू पर जून, 2020 में बेंगलुरु में भारत के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अगस्त 13, 2020 को अबूजा में नाइजीरिया के राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास एजेंसी (एनएएसआरडीए) ने हस्ताक्षर किए हैं।

विवरण:

• यह समझौता ज्ञापन दोनों देशों को सहयोग के संभावित हित क्षेत्रों जैसे पृथ्वी की सुदूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग); सैटलाइट संचार और सैटलाइट आधारित नेविगेशन; अंतरिक्ष विज्ञान एवं ग्रहों की खोज; अंतरिक्ष यान, लॉन्च व्हीकल, अंतरिक्ष प्रणालियों और जमीनी प्रणालियों का उपयोग; भू-स्थानिक उपकरण और तकनीक सहित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के व्यावहारिक अनुप्रयोग; और सहयोग के अन्य क्षेत्रों को तय करने के लिए सक्षम बनाएगा। 

• इस समझौता ज्ञापन के तहत एक संयुक्त कार्य दल का गठन किया जायेगा, जिसमें डीओएस / इसरो और नाइजीरिया के राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास एजेंसी (एनएएसआरडीए) के सदस्य शामिल होंगे। संयुक्त कार्य दल समय-सीमा और कार्यान्वयन के साधनों सहित कार्य योजना को अंतिम रूप देगा।

कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:

हस्ताक्षरित एमओयू के तहत एक संयुक्त कार्य दल का गठन किया जायेगा, जिसमें अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) / इसरो और नाइजीरिया के राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास एजेंसी (एनएएसआरडीए) के सदस्य शामिल होंगे। संयुक्त कार्य दल समय-सीमा और कार्यान्वयन के साधनों सहित कार्य योजना को अंतिम रूप देगा।

प्रभाव:

हस्ताक्षरित एमओयू पृथ्वी की सुदूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग); सैटलाइट संचार; सैटलाइट नेविगेशन; अंतरिक्ष विज्ञान और बाहरी अंतरिक्ष की खोज के क्षेत्र में नई अनुसंधान गतिविधियों और अनुप्रयोग संभावनाओं का पता लगाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करेगा।

व्यय:

हस्ताक्षरकर्ताओं का विचार है कि पारस्परिक रूप से तय किए गए कार्यक्रम सहयोग के आधार पर पूरे किए जाएंगे। इस तरह की गतिविधियों के लिए फंडिंग की व्यवस्था प्रति कार्य के आधार पर हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा पारस्परिक रूप से तय की जाएगी। इस समझौता ज्ञापन के तहत की जाने वाली संयुक्त गतिविधियों का वित्तपोषण, संबंधित हस्ताक्षरकर्ताओं के कानूनों और विनियमों के अनुसार किया जाएगा और यह इन उद्देश्यों के लिए आवंटित धन की उपलब्धता के अधीन होगा।

लाभार्थी:

इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से नाइजीरिया सरकार के साथ सहयोग और मानवता के लाभ के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग के क्षेत्र में एक संयुक्त गतिविधि विकसित करने में सहायता मिलेगी। इस प्रकार, देश के सभी वर्गों और क्षेत्रों को लाभ मिलेगा।      

पृष्ठभूमि: 

भारत और नाइजीरिया लगभग एक दशक से औपचारिक अंतरिक्ष सहयोग करने के लिए प्रयासरत हैं। नाइजीरिया में भारतीय उच्चायोग की पहल के साथ, अंतरिक्ष सहयोग के लिए अंतर-सरकारी एमओयू का मसौदा एमईए के माध्यम से नाइजीरियाई अधिकारियों के साथ साझा किया गया था। राजनयिक माध्यमों से विचार-विमर्श के बाद, दोनों पक्षों ने समझौता ज्ञापन के एक व्यावहारिक मसौदा तैयार किया और आंतरिक अनुमोदन के लिए इसे आगे बढ़ाया। हालांकि एमओयू पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी समय से मिल गई थी, लेकिन इस एमओयू पर हस्ताक्षर करने के लिए उचित अवसर नहीं मिल पाया था, क्योंकि  2019 के अंत और 2020 की शुरुआत में कोविड -19 महामारी के कारण कुछ यात्राओं को रद्द पड़ा था।

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