राजस्थान के राजनीतिक नाटक का पटापेक्ष होता अब नजर आ रहा है। हालांकि आज शुरू हुए विधानसभा सत्र के शुरुआती दौर में लगा कि माहौल अनुकूल नही है और कांग्रेस में बस सब कहने के लिए ठीक है। सचिन-गहलोत के हाथ मिले हैं दिल नही और ऐसा इसलिए लगा क्योंकि सचिन पायलट की सीट बदल दी गई थी।
वह कांग्रेस नेताओं से दूर और बीजेपी नेताओं के करीब वाली सीट पर बैठे थे। इस नजारे को देख कर लगा कि कांग्रेस में यह सुलह क्षणिक है। सचिन को जब सदन में बोलने का मौका मिला तो वह भी सीट बदलने की बात पर बोलने से नही चूके। उन्होंने इसे पॉजिटिव बात के साथ ढकने की कोशिश की। सचिन ने अपने संबोधन में कहा कि जो सबसे मजबूत योद्धा होता है उसे ही बॉर्डर पर भेजा जाता है। आप देख सकते हैं कि मेरी सीट पक्ष और विपक्ष के ठीक बीच मे है।
इन सब विवादों के बीच अशोक गहलोत विश्वास मत हासिल करने में सफल रहे। इसके बाद यह स्पष्ट है कि अब कांग्रेस की सरकार राजस्थान में सुरक्षित है। अशोक गहलोत फिलहाल मुखिया बने रहेंगे। इन सब बातों के बीच सचिन यह कहना भी नही भूले की जिस डॉ को मर्ज बताना था उन्हें हम बता चुके हैं। इससे स्पष्ट है कि तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट आने तक सचिन कांग्रेस के पायलट बने रहेंगे। रिपोर्ट कैसी आती है और उसमें क्या होता है आगे का भविष्य उसी पर निर्भर करेगा।