राष्ट्र का वह मुसलमान राष्ट्रपति जिसे दुनिया दिल से करती है सलाम, नाम है उसका अब्दुल कलाम

भारत मे हिन्दू-मुस्लिम के नाम की राजनीति पुरानी है। 1947 में मिली आजादी से लेकर आज तक जहां देखें वहीं एक विभाजन और धर्म के नाम पर राजनीतिक और सामाजिक बदहाली की तस्वीर हर ओर नजर आती है। हालांकि वादे और इरादे के बीच भारत की इस परम पावन पुण्य भूमि पर कई ऐसे राष्ट्र पुरुष और राष्ट्र ऋषि हुए जिन्हें न सिर्फ भारत के एक राज्य,भारत के किसी खास धर्म, भारत के किसी खास समुदाय या जो किसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं, वह ऐसे है जिन्हें पूरी दुनिया आज सलाम करती है। उन्हें नमन करती है। उनका आदर करती है। उन्हें अपना आदर्श मानती है। उनके बताए कदमों और रास्तों पर चलने को हरदम-हरपल तैयार रहती है। वैसे महज कुछ नाम ही भारत मे हैं। राजनीति में ऐसे नाम काफी कम हैं। इनमे भी कुछ नाम तो ऐसे हैं जिन्हें धर्म के नाम पर बांटा गया। इनमे पहले और अब तक आधुनिक भारत के जनक डॉ कलाम पहले और आखिरी हैं।

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कलाम के बारे में न लिखने के लिए शब्द हैं न कोई ऐसी एक बात है जो उनकी विशाल शख्शियत को कुछ लफ्जों में बयां कर सके। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत के सुदूर दक्षिण से चलकर उत्तर भारत के सबसे बड़े ओहदे तक पहुंचने वाले वह एकमात्र इंसान थे। वह पहले ऐसे व्यक्ति थे जो एक ऐसी पृष्टभूमि से देश के सबसे बड़े ओहदे तक पहुंचे जहां पहुंचना एक टेढ़ी खीर होती है। जहां हर कदम पर राजनीति की बेड़ियाँ और जाति-पाती की जंजीरें होती हैं। दलगत राजनीति की कहानी होती है। इन सभी कहानियों के बावजूद मल्लाह का वह बेटा जिसके एक हाथ मे कुरान और दूसरे में नाव की पतवार थी। एक कान में गीता की लाइनें थी तो दूसरी तरफ अज़ान की आवाज़ थी। जिसने गलियों में कभी अखबार बेचा तो कभी एयरफोर्स में जाने का ख्वाब देखा। हालांकि कुछ सपने तो भगवान के पूरे नही हुए वह दिव्य आत्मा तो फिर भी इंसान थे।

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इसी क्रम में उनकी मेहनत और लगन रंग लाई। वह वैज्ञानिक बने। भारत को कई मिसाइलें दी। दुनिया की 24 यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी। भारत को उन्होंने परमाणु सम्पन्न बनाया। देश को विज़न 2020 कर के एक ख्वाब दिखाया। टायफेक जैसी संस्था दी। लाखों को उम्मीद और करोड़ों को मकसद दिया। पोखरण में परमाणु विस्फोट कर अटल जी के सपने को साकार किया वो भी अमेरिका को झांसा देकर। बच्चों और छात्रों में लोकप्रिय रहे। जीवन का अंत मे सुदूर पूर्वोत्तर के इम्फाल में हुआ। वह भी ऐसे जैसा वह कहते थे। प्रोफेसर के रूप में। जिनसे मिलने के लिए हजारों लाखों लोग लाइन में खड़े मिलते थे। जिन्होंने भारत का प्रथम व्यक्ति रहते देश की दशा और दिशा बदल दी। जिनका दीवाना हर इंसान था। ऐसे थे डॉ कलाम। उन्हें आकाश भर प्रणाम।

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नोट- वर्तनी,लाइन और कहानी के प्रारूप से ज्यादा भावनाएं अहम हैं। इसे समझाने का यह एक प्रयास मात्र है।उम्मीद है इसे कहानी के रूप में पढ़ा जाएगा और डॉ कलाम को याद किया जाएगा। कोई किस्सा हो तो आप भी शेयर करें।

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