2014 में नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद रेडियो के प्रयोग को बढ़ावा देते हुए एक कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई। इस कार्यक्रम को नाम दिया गया पीएम के मन की बात। यह कार्यक्रम महीने के अंतिम रविवार को आयोजित होने लगा। लोगों में इसके प्रति दिलचस्पी भी देखने को मिली और यह एक हिट साबित हुआ। हालांकि इस कार्यक्रम का विरोध भी हुआ और मजाक भी उड़ा लेकिन इसके बावजूद अगर इसके महज एक पहलू पर गौर करें या यूं कहें कि कोई एक ऐसी उपलब्धि रही तो वह यह कि इज़के माध्यम से आम लोगों के सुझाव पीएम तक पहुंचे। आमलोगों की उपलब्धियां पीएम तक पहुंची और फिर पीएम के द्वारा वह भारत भर में पहुँची।
मन की बात कार्यक्रम को लेकर विपक्ष ने सरकार पर और उसकी नीतियों पर सवाल उठाए। मसलन यह तक कह दिया गया कि पीएम सिर्फ मन की बात करना जानते हैं, वह सुनना नही जानते। ऐसे और भी कई विवाद जुड़े हैं। कभी इसके ऊपर होने वाले खर्च,कभी इसमे उठाये जाने वाले मुद्दे तो कभी कुछ और। लेकिन इन सब के बीच कुछ बातें जो अमिट छाप छोड़ गईं वह थी रेडियो के प्रयोग को बढ़ावा मिला। सरकार की उपलब्धियां गांव गांव तक पहुंची। स्वच्छ भारत जैसे कार्यक्रम को मिशन रेडियो पर पीएम मोदी की मन की बात ने बनाया।
इन सब से अलग एक उपलब्धि जो सबसे अहम और बड़ी है वह है ऐसी ऐसी विलक्षण प्रतिभाओं का नाम सामने आया जो आज तक गुमनाम थीं। उदाहरण के तौर पर पिछले महीने की मन की बात कार्यक्रम में पीएम ने नाले से निकलने वाली गैस से चाय बनाने वाले एक शख्स का जिक्र किया। पहले तो मजाक उड़ा लेकिन जब गाज़ियाबाद के एक इलाके में इस प्रयोग को करने वाले व्यक्ति की कहानियां सामने आई तो खामोशी छा गई। और यही इसकी उपलब्धि भी है।