सोनिया की सक्रियता बीजेपी की राह मुश्किल करेगी

पिछले काफी समय से राजनीति से दूर चल रहीं सोनिया अब एक बार फिर सार्वजनिक राजनीतिक जीवन मे सक्रिय हो गई हैं। इसका मकसद कुछ भी हो लेकिन इतना तो तय है राहुल के साथ सोनिया का सक्रिय होना और विपक्ष को एकजुट करने की पहल शुरू करना मोदी सरकार के लिए खतरे की घंटी बन सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सोनिया गांधी के अध्यक्ष रहते विपक्ष के कई दल कांग्रेस की अगुवाई में एक मंच पर आ चुके हैं लेकिन राहुल के नेतृत्व में अभी तक ऐसा नही हो सका। बीजेपी के लिए यही प्लस पॉइंट था ऐसे में अगर सोनिया की सक्रियता विपक्ष को एकजुट करने में सफल साबित हुई तो यह तय है कि मोदी सरकार की डगर न सिर्फ राज्य के चुनावों बल्कि 2019 के लोकसभा में भी कठिन होगी।


काफी दिनों के बाद या यूं कहें राहुल को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देने के बाद वह राजनीति से लग चल रही थी लेकिन अचानक इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शामिल होना और मोदी सरकार पर जमकर हमला बोलना उसके बाद विपक्षी नेताओं के लिए डिनर का आयोजन और अब कांग्रेस के अधिवेशन में मोदी सरकार पर सोनिया का जोरदार हमला यही बता रहा है कि भले ही राहुल अब कांग्रेस का चेहरा हैं लेकिन सोनिया ही अब भी कर्ता धर्ता की भूमिका में हैं। ऐसे में यह जहां विपक्ष और कांग्रेस के लिए शुभ संकेत है वहीं मोदी और बीजेपी के लिए राह मुश्किल करने वाली हो सकती है। अब तक अलग थलग पड़ा विपक्ष अगर एकजुट होने में सफल हुआ तो 2019 में बीजेपी की केंद्र सत्ता में वापसी न सिर्फ मुश्किल होगी बल्कि उसे राज्य में होने वाले चुनावों में भी मुंह की खानी पड़ सकती है।

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