आज के माहौल में आत्महत्या एक ऐसा गंदा खेल बनता जा रहा है जिससे हर वर्ग परेशान है। युवा हों या महिला, लड़कियां हो या विद्यार्थी हर कोई बस जल्द से जल्द हर चीज पाना चाहता है या न मिलने की स्थिति में किसी परेशानी की स्थिति में मौत को गले लगाना उन्हें संघर्ष करने से ज्यादा उचित लगता है। अब सवाल यह है कि क्या जो जिंदगी भगवान ने हमे दी है उसे हम अपनी मर्जी से खत्म कर कुदरत के नियमों के विपरीत नही जा रहे? क्या हमें समस्याओं से लड़ना नही सीखना चाहिए? क्या मौत को मात देने के बदले यह ज्यादा आसान है?
आइये जानें कि अगर ऐसे ख्याल आने लगें तो क्या करें, कौन से सवाल खुद से पूछें? कैसे निपटें-
1- बातों को साझा करना सीखें और खुद से पूछें कि क्या आप अपनी समस्या दूसरे से साझा कर सकते हैं। अगर आप कर सकते हैं तो यकीन मानिए आपको आपके करीबी ही जीने की राह दिखाएंगे।
2. हंसना और रोना सीखें, हमेशा हंसना या हमेशा रोना कहीं से सही नही होता। एक कहावत है अति सर्वत्र वर्जते, ऐसे में परेशान हैं तो रो लें खुश हैं तो हंस लें यकीन मानिए आपको अच्छा लगेगा, हल्का महसूस होगा। हालांकि पहले खुद से पूछिए की आप दुखी है भी या नही?
3. असफल होने पर लोग दुखी हो जाते हैं, इसे छुपाने लगते हैं या बचना चाहते हैं, उन्हें ऐसा लगता है कि उन्होंने अपना सौ फीसदी दिया फिर भी असफल हुए लेकिन यह सोच ही गलत है। आप यह मान लीजिए कि आपकी मेहनत में कमी थी, नतीजे में नही। दुगने उत्साह से लग जाइये सफलता जरूर मिलेगी
4. खुद पर भरोसा है भी या नही यह सबसे अहम है। कई बार हम दूसरों के कहने पर राह चुन लेते हैं लेकिन जब कठिनाई आती है तो खुद दुखी होकर आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं। ऐसे में पहले सेल्फ कॉन्फिडेंस को टटोलिये।