हाल के दिनों में जब भी आप रेडियो, अखबार, टीवी, या मोबाइल पर न्यूज़ सुनते, पढ़ते या देखते होंगे तो उसमें एक न एक खबर ऐसी जरूर होती है जो आत्महत्या या हत्या से जुड़ी होती है। क्या आपने सोचा है कि इसके पीछे कारण क्या है? कुछ दिनों से लगातार अमेरिका से ऐसी खबरें सुर्खियों में रही जब किसी बंदूकधारी ने अपनी मानसिक विक्षिप्तता का परिचय देते हुए मासूमों पर अंधाधुंध फायरिंग की और इन सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
भारत में हालांकि माहौल थोड़ा अलग है। भारत मे लोग दूसरों को नुकसान पहुंचाने की जगह अपनी ही जिंदगी खत्म कर लेते हैं। आये दिन महिलाओं, युवाओं और पुरुषों के आत्महत्या किं ख़बरें आती है। यह दोनों ही स्तिथि खतरनाक है। दोनो देशों के परिवेश बेशक अलग-अलग हैं लेकिन जहां एक बड़ा वर्ग इस तरह की हिंसक सोच और गलत कदम उठाने को मजबूर है। वहां सिस्टम, सोच और समाज मे कमी तो है। इसे दूर करने की जरूरत है। कैसे यह हमें, सरकार और कानून सभी को एक साथ सोचना होगा। मानसिक और सामाजिक दबाव, सफलता प्राप्त करने की अंधी दौड़ और उसके लिए अपनाए जाने वाले रस्ते इसके लिए सबसे बड़े कारण नजर आते हैं।
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