Education-A continuous shame for Bihar.

पोलिटिकल साइंस में खाना बनाने सिर्फ बिहार के ही शिक्षक सीखा सकते हैं,धन्य है वह टॉपर जिसे पिरियोडिक टेबल में सबसे क्रियाशील धातु एल्युमीनियम मिली है।इन टॉपरों से मिलने पर तो आर्यभट्ट,ग्राहम बेल और आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिक भी भाग खड़े होते,पिछले से परीक्षा में हुई नक़ल ने पुरे राज्य देश और विश्व में थू-थू कराई थी और इस बार के अब तक के सबसे घटिया परीक्षा परिणामों ने लेकिन इसमें भी शायद राज्य सरकार को संतुष्टि नहीं मिली।
जब साइंस 12वीं के नतीजे 10 मई को आये तभी ऐसा शक था लेकिन उसके बाद कॉमर्स,आर्ट्स,मैट्रिक में पास फ़ेल प्रतिशत ने इसे और प्रगाढ़ कर दिया,जिम्मेदारी और तारीफ प्रसाशन की हुई की काफी कड़ैती बरती गई है और इसका पूरा ठीकरा विद्यार्थियों के मत्थे तथा उनकी कम पढाई पर फोड़ दिया गया।यहाँ गौर करने योग्य बात है की 100 में 56 बच्चे ही पास हुए क्या इतना घटिया स्तर है शिक्षा का?उनकी मेहनत का?शिक्षक की जिम्मेदारी कब तय होगी?ऐसी हालात का जिम्मेदार कौन?क्यों न हो कॉपीयों का पुनर्मूल्यांकन?भविष्य डुबाने वालों को सजा कब और कौन सुनिश्चित करे? ये तमाम प्रश्न सभी के मन में उमड़ घुमड़ रहे हैं लेकिन सरकार ने जांच करवाने की घोसना कर अपने कर्तव्य की इति श्री कर ली है।अंजाम जो भी हो बच्चों का भविष्य बर्बाद हो चूका,थू थू हो चुकी अब देखना है सरकार क्या कदम उठाती है।
‪#‎विजय_राय‬

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