देश मे आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए आज यह एक बहस का मुद्दा बनता जा रहा है कि क्या किसी आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के परिजनों को सरकारी लाभ या मदद मिलनी चाहिए। इसे लेकर उत्तराखंड हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी हालांकि इसे खारिज कर दिया गया। खारिज करने से पहले कोर्ट ने सरकार को यह निर्देश जरूर दिया कि राजकोष का दुरुपयोग न हो और इसके लिए सही नीति बनाई जाए और उसी के हिसाब से लाभ दिया जाए।
खैर यह तो हुई कोर्ट और सरकार की बात लेकिन अगर वास्तविकता की बात करें तो आत्महत्या में भारत सबसे आगे है और यहां हर घंटे, हर मिनट का आंकड़ा विनाशकारी है। ऐसे में अगर आर्थिक लाभ देने की कोई नीति बन जाये तो भी अनुमानतः अलग से इसके लिए एक फंड बनाना पड़ेगा। क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर निजी रूप से बिना फंड के मदद देने संभव नही। इसके अलावा मदद दी क्यों जाए यह भी कुछ लोग पूछ रहे हैं। उनका मानना है कि आत्महत्या एक गैर जरूरी कदम है जिसमे सरकार की शायद ही कोई भूमिका होती है हां इनमे से कुछ मामले अपवाद हैं और उन मामलों में वाकई मदद दी भी जानी चाहिए। ऐसे में आप क्या सोचते हैं? कमेंट कर दें हमें अपनी राय?