कोरोनॉ वायरस चीन से जब दिसंबर के अंतिम दिन चर्चा में एकाएक आया तो किसी ने सोचा भी नही होगा कि यह एक दिन पूरी मानव सभ्यता और दुनिया को अपनी चपेट में ले लेगा। मानव इतिहास की सबसे बड़ी और भयावह त्रासदी का रूप ले लेगा। परमाणु बम पर कूदने वाले देशों को भीगी बिल्ली बना देगा। दिन रात जीडीपी-विकास में भागने दौड़ने वालों को लॉकडाउन और कर्फ्यू का आदि बना देगा। स्वास्थ्य के साथ संस्कृति का पाठ भी आसानी से याद करा देगा। एक ऐसे मुहाने पर ला खड़ा करेगा जहां सरकारें बेबस, सड़कें सुनसान, ऑफिस वीरान और आबाद श्मशान बस नजर आएंगे।

हमारी अजीब हरकतों और सब कुछ हासिल करने की जिद्द ने आज हमें उस मुहाने पर ला खड़ा किया है जहां से सिर्फ विनास का भयानक तांडव है। शहर के शहर श्मशान बन गए हैं। क्या इटली, क्या चीन, क्या ईरान, क्या फ्रांस सब आज एक पंक्ति में खड़े नजर आ रहे हैं। कल तक हम वैश्विक ताकत बनने की होड़ में दौड़ रहे थे आज हम उस अनजाने दुश्मन से लड़ रहे जिसका ठीक-ठीक अंदाज भी नही है। स्वास्थ्य सुविधाओं में नंबर दो की हैसियत रखने वाला इटली आज लाशें उठाने और दफनाए जाने को लेकर चिंतित है। ईरान पर प्रतिबंध लगाने वाला अमेरिका आज हर मदद को तैयार है और उसी कतार में ईरान के साथ खड़ा है। दुनिया के सैकड़ों देश इस त्रासदी की विभीषिका झेल रहे हैं। कब और कैसे इससे निपटा जाएगा इज़के भी अंदाज़ ही अब तक लगाया जा सका है। न किसी के पास ठोस विकल्प है न ठोस जवाब।

परमाणु बम बनाने वाली और उसके बल पर सबकुछ हासिल करने वाली दुनिया आज आंख से नजर न आने वाले उस वायरस के आगे घुटनों के बल खड़ी है जो सुनने में बहुत आम से लगता है लेकिन मानव अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा बन कर उभरा है। हालांकि इस वायरस ने सब कुछ बुरा ही नही किया है। सबसे अच्छे पहलू की बात करें तो इसने दुनिया को एक कर दिया। आज दुनिया के तमाम देश एक दूसरे के साथ खड़े होने की न सिर्फ वकालत कर रहे हैं बल्कि यथासंभव एक दूसरे की मदद भी कर रहे हैं। कई देश इससे तेजी से निपट रहे तो कुछ गिरते संभालते आगे बढ़ने की कोशिश में लगे हैं।

अगर हम भारत की बात करें तो सवा सौ करोड़ की जनसंख्या वाला देश आज वीरान है। सड़कें सुनसान हैं। हर किसी के माथे पर चिंता की एक लकीर है। यह चिंता न सिर्फ वर्तमान को लेकर है बल्कि आने वाले भविष्य की चुनौतियों को लेकर ज्यादा है। आर्थिक चुनौतियां इनमें सबसे बड़ी है। खैर अगर वर्तमान की बात करें तो कोरोना सिर्फ बर्बादी लेकर नही आया है। इस भयावह स्थिति ने डर के साथ सुकून दिया है। अपनों से मिलने का वक़्त दिया है। घर वालों का साथ दिया है। शौक पूरा करने का समय दिया है। हालांकि हम इसके आदि नही हैं और भागने की ऐसी आदत है कि हमसे घर मे बैठा नही जा रहा है।

वक़्त की मांग और नजाकत को समझिए। खुद को वक़्त दीजिए। परिवार के छोटे बड़ों से मिलिए समझिए। खाना, पढ़ना, वेब सीरीज,मूवीज, सीरियल जो मर्जी देखिए लेकिन घर पर रहिए। अगर वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं तो कहीं ज्यादा समय दीजिए, मेहनत कीजिये आपको मजबूरी की वजह से ही सही यह मौका मिला है। बाहर न निकलिए। सरकारी आदेश का पालन करें और प्रशासन का सहयोग करें। सतर्कता, जागरूकता और सामाजिक दूरी से ही आप खुद को बचा सकते हैं और एक नागरिक होने का फर्ज निभा सकते हैं। इस महामारी ने बस यही शर्त रखी है कि दूरी बनाए रखें और सुरक्षित रहें तो कृपया जागरूक बनें और लोगों को भी करें। अफवाहों और फेक खबरों से दूर रहें, इन्हें शेयर करने से बचे। धन्यवाद।