एक ऐसा राज्य जहां चुनाव आयोग से ज्यादा किसी अन्य संगठन की चलती है, सब सुनते और मानते भी हैं

भारत मे जब भी चुनाव की बात होती है तब सबसे पहले मन-मस्तिष्क में चुनाव आयोग की बात आती है। चुनावों की तारीख से लेकर आचार संहिता के पालन, उम्मीदवारों के नामांकन से लेकर रैली और प्रचार प्रसार की निगरानी और अंततः वोटिंग और नतीजे आमतौर पर चुनाव आयोग की देखरेख में ही सम्पन्न होते हैं। इससे बड़ी संस्था चुनावों के लिए देश में कोई भी नही है। लेकिन इसके बावजूद अगर हम आपसे कहें कि एक ऐसा राज्य भी है जहां चुनावों के दौरान चुनाव आयोग से ज्यादा किसी निजी संगठन की चलती है तो क्या आप यकीन करेंगे?

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यकीन मानिए यह सच है। सच से भी ज्यादा यह कहीं बेहतर प्रबंधन है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि आमलोग इस संगठन से जुड़े हुए हैं और यही राजनीतिक दलों की सबसे बड़ी मजबूरी है कि उन्हें इस संगठन की बात माननी पड़ती है। खास बात यह है कि चुनाव आयोग भी इस संगठन के दिशा निर्देशों का समर्थन करता है। अब आइये जानें कि कौन सा है वह राज्य और कौन सा है ऐसा संगठन जिसकी पकड़ इतनी मजबूत है।

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यह राज्य है मिजोरम और यहां चुनावों में अहम भूमिका निभाने वाले संगठन का नाम है मिजोरम पीपुल्स फोरम। यह संगठन राज्य के सबसे बड़े चर्च संगठन सीनाड का प्रतिनिधि है। इस संगठन के काम को समझने के लिए पिछले विधानसभा चुनाव के कुछ उदाहरण को समझना होगा। उस दौरान इस संगठन ने सभी राजनीतिक दलों के लिए 27 नियमों की एक सूची जारी की थी। इसे सभी उम्मीदवारों और दलों के लिए अनिवार्य बनाया गया था साथ ही यह घोषणा भी की गई थी कि अगर कोई इसका उल्लंघन करता पाया गया तो उसे अवैध घोषित किया जाएगा। जारी नियमों में कोरे और लुभावने वादों की जगह ठोस कार्ययोजना पेश करना, रैली और दावत के लिए अनुमति लेना, भाषा की मर्यादा बनाये रखना जैसी अहम बातें शामिल थीं। चुनाव आयोग ने भी इन नियमों का समर्थन किया था। यही वजह है कि वहां चुनाव काफी शांत और कम खर्चीले साबित हुए। काश ऐसा संगठन हर राज्य में होता।

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